लखनऊ। संजय गांधीपीजीआई में आयोजित वर्कशाप में शनिवार को सीटीओ तकनीक पर आयोजित कार्डिंयक कार्यशाला में चार मरीजों की लाइव सर्जरी की गई। जापानी सीटीओ तकनीक से हार्ट के मरीजों की सर्जरी की गई। इस नयी तकनीक को सीखाने के लिए लाइव प्रदर्शन भी किया गया। इस सर्जरी से विशेषज्ञों पर इलाज का दबाव काफी हद तक कम हो हुआ है। कई सरकारी संस्थानों में सर्जरी के लिए दबाव के कारण लंबी वेटिंग है। खात तौर पर उन मरीजों में जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है। ऐसे में मरीजों में कई तरह की दिक्कतें होती हैं। लिहाजा यह तकनीकि बहुत किफायती है।
पीजीआई के कार्डियक विशेषज्ञ प्रो. पीके गोयल, प्रो. रुपाली खन्ना और सुदीप कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि पूरे देश दो हजार से ज्यादा मरीजों का इस तकनीक के जरिए सफल इलाज किया जा चुका है। इसमें सफलता दर 99 फीसदी है। इसमें खास तरह के तार का प्रयोग किया जाता है। यह एंजियोप्लास्टी वाले तार से काफी अलग हैं। इसे गाया वायर भी बोलते हैं।
इसमें रिस्क दर भी काफी कम है। संस्थान में सीटीओ आयोजित वर्कशाप और अधिवेशन में प्रो. रूपाली खन्ना, प्रो, नवीन गर्ग, प्रो. अंकित साहू सहित अन्य विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। बताया कि मरीज में सर्जरी कर तकनीक अन्य डाक्टरों को भी दिखायी गयी, जिससे देश में इस तकनीक का विस्तार हो सके। प्रो.सुदीप के मुताबिक यह एक तरह खास तरीके की तकनीक है। इसे दो तरीके से किया जाता है। पहला यह है कि एंजियोप्लास्टी की तरह सीधे ही वायर को नसों के लिए ब्लाकेज वाले स्थान पर ले जायाजाता है।
दूसरा यह है कि यदि सीधे तौर पर तार नसों में प्रवेश नहीं कर पाते हैंतोवे दूसरी नस से होते हुए ब्लाकेज वाले स्थान पर पहुंच जाते हैं। फिरे जहां ब्लाकेजहोता है, उसे खोल देते हैं। इससे मरीज में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। खर्चकरीब- करीब ओपेन सर्जरी से करीब10 फीसदी ज्यादा आता है। जबकि सर्जरी में मरीज को तमाम तरह की दुश्वारियां झेलनी पड़ती है। उसमें संक्रमण का भी खतरा रहता है। दवाएं ज्यादा लेनी पड़ती है। इसमें इन सभी झंझट से मुक्ति मिल जाती है।
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