आज के दौर में जंक फूड बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक है। बच्चों में मोटापे का प्रमुख कारण स्कूलों की कैंटीन में बिकने वाले जंक फूड भी हो सकता है। जंक फूड की वजह से बच्चों में मोटापा, डायबिटीज, दांतों और दिल की बीमारियां होती हैं। इससे बच्चों में कब्ज की समस्या भी बढ़ रही है, क्योंकि अधिकतर जंक फूड आइटम्स में मैदे का इस्तेमाल होता है। अकसर माता-पिता डाइट के नाम पर बच्चों को रूखी-सूखी सब्जियां खिलाने का प्रय‘ करते हैं जो बच्चों को पसंद भी नहीं होती।
इसलिए बच्चों को हरी सब्जियां खिलाने के लिए उनका रूप बदला जा सकता है। जैसे पालक की भुजिया की जगह पालक पनीर दिया जाए या उसके लिए घर में बनाए पिज्जा के ऊपर टमाटर की मोटी सतह रखी जाए। उन्हें अंकुरित अनाज खिलाएं। उतनी ही मात्रा में भोजन कराएं, जो उनकी आयु के अनुपात में हो। भोजन में एक तिहाई फल व सब्जियां तथा दो तिहाई अनाज होना चाहिए। सॉफ्ट ड्रिंक्स की बजाय ताजे फलों का जूस पीने की आदत डालें। उन्हें फाइबर युक्त यानी रेशेदार भोजन दें। ऐसे भोजन उनके पाचनतंत्र के लिए जरूरी हैं।
योग, व्यायाम की डालें आदत –
बच्चों में बचपन से ही नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग की आदत डालें। बच्चों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करें, यह एक अच्छा व्यायाम है। कुछ देर ध्यान योग से बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित करें। इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होगा। बेहतर हो कि घर के बड़े भी नियमित योग करें।
खेलने दें आउटडोर गेम –
शहर के बहुत बड़े भाग मेें बच्चों के खेलने के लिए खुली जगहों का अभाव है, जिससे बच्चे घरों में कैद होकर रह गए हैं और उनका रुझान टीवी और वीडियो गेम की तरफ बढ़ गया है। बच्चोंं में मोटापे के लिए टेलीविजन, कंप्यूटर और वीडियो गेम्स भी काफी हद तक दोषी हैं। बच्चों को हर रोज एक घंटा खुले में खेलने के लिए प्रेरित करें। यह उनके लिए सबसे अच्छा व्यायाम है।
भरपूर नींद भी है जरूरी –
बच्चों को पूरी नींद लेना भी जरूरी है। उनके सोने और उठने का एक समय निर्धारित करें। कम सोने से बच्चे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं, क्योंकि कम नींद से उनकी प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए 1० घंटे की नींद जरूरी है। माता पिता को बच्चों की नींद का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
मोटापे का दुष्प्रभाव –
बच्चों में मोटापे का प्रभाव लघु अवधि के लिए नहीं होता है बल्कि आगे चलकर यह उनके जीवन में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हृदय की बीमारी और जोड़ों के दर्द में बदल जाता है। अत्यधिक वजन अस्थमा और श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन जाता है। असामान्य ब्रीदिग से अनिद्रा की समस्या हो जाती है। अधिकांश बच्चे जो मोटे होते हैं वो दरअसल एक मोटे व्यक्तित्व के साथ बड़े होते हैं और इसकी वजह से उनमें आत्मसम्मान की कमी होती है और साथ ही वो मनोवैज्ञानिक दबाव में रहते हैं। उनके दिमाग में हताशा घर कर जाती है।