लखनऊ। Stf द्वारा सस्ती दवाओं की कालाबाजारी का खुलासा होने के बाद किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पद से हटा दिया है। हालांकि उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। उनके स्थान पर दूसरे अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। शनिवार को आदेश भी जारी कर दिया गया है।
केजीएमयू में अलग- अलग विभागों में एचआरएफ के 14 स्टोर संचालित कि ये जा रहे हैं। इसमें मरीजों को 30 से 70 प्रतिशत कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध करायी जाती हैं।
बताते चले कि 24 नवंबर को एसटीएफ ने छापेमारी कर दवाओं की कालाबाजारी का खुलासा किया था। मरीजों की सस्ती दवाएं कर्मचारी चोरी छिपे बाजार में बेच रहे थे। खुलासे के बाद केजीएमयू प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की थी। जांच में दस आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध मिली थी। केजीएमयू प्रशासन ने तत्काल एक्शन लेते हुए नौकरी से निकाल दिया गया है। छह माह के भीतर तीन बाद एचआरएफ में घुसपैठ का मामला सामने आ चुका था।
बड़े पैमाने पर दवाओं की कालाबाजारी की घटनाएं उजागर होने के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया। कर्मचारियों के पकड़ के बाद जिम्मेदारी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई करने में केजीएमयू प्रशासन पीछे हट रहा था।
अब कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने एचआरएफ के महत्वपूर्ण पदों पर तैनात जिम्मेदारों को हटा दिया है। इसमें चेयरमैन से लेकर फैकल्टी इंचार्ज तक शामिल हैं। एचआरएफ चेयरमैन पद की जिम्मेदारी प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. विजय कुमार को दी गई है। फैकल्टी इंचार्ज फार्माकोलॉजी विभाग की डॉ. अनुराधा निश्चल को दी गई है। रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. आनंद श्रीवास्तव को को-फैकल्टी इंचार्ज बनाया गया है।
एचआरएफ स्टोरों पर भी कर्मचारियों में तबादला किया गया है। कई स्टोरों पर अब स्थाई कर्मचारियों को तैनात करने की भी तैयारी की जा रही है। इसके लिए विभागों में तैनात स्थायी फार्मासिस्टों का जानकारी मांगी गया है।