लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेडियोडायग्नोसिस विभाग में बृहस्पतिवार को 15 वर्षो बाद आधुनिक 3-टेस्ला एमआरआई और 160-स्लाइस सीटी स्कैनर की नयी मशीन लगा दी गयी है। इन दोनों मशीनों का केजीएमयू कुलपति सोनिया नित्यानंद और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के ग्लोबल डेवलपमेंट डिवीजन के अध्यक्ष डॉ. क्रिस एलियास ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया।
दो आधुनिक नयी मशीन लगने से मरीजों को जांच कराना आसान होगा। उनकी जांच की वेंटिग कम हो जाएगी। अगर देखा जाए तो 1:5 टेस्ला के मुकाबले 3-टेस्ला एमआरआई में दोगुनी मैग्नेंटिक क्षमता है। नयी मशीन से शोध करने में भी सहायता मिलेगी। इससे बीमारी को फस्र्ट स्टेज में ही पकड़ना संभव होगा। केजीएमयू में लगी पुरानी 1.5 टेस्ला एमआरआई पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत संचालित होती थी।
रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार ने बताया कि नयी एमआरआई से ब्रोन ट्यूमर की सटीक पहचान से सर्जरी की सफलता अौर अधिक हो सकेगी। यही नहीं इसकी मदद से मरीज की दवा का कितना प्रभाव हो रहा है। यह भी जानना आसान हो सकेगा।
इसके साथ ही ब्रोस्ट, गर्भाशय ग्रीवा, सिर और गर्दन के कैंसर और अन्य कैंसर का पता लगाने और स्टेजिंग में भी बेहतर है। इससे पूरे शरीर में गांठ, ट्यूमर व कैंसर की पहचान आसान हो सकेगी। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और क्रोनिक किडनी डिजीज मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि शताब्दी फेज एक में लगायी गई 160-स्लाइस अल्ट्रा हेलिकल सीटी स्कैनर ट्रांसप्लांट के लिए इमेजिंग और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में सहायक होगी। सीटी-गाइडेड बायोप्सी और प्रत्यारोपण मरीजों को मदद मिल सकेगी।