लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिम्ब सेंटर में अब कृत्रिम अंग हाईटेक और हल्के निर्माण किया जा सकेंगे। आ रही नयी वैक्यूम सक्शन मशीन की मदद से अब प्लास्टिक के कृत्रिम अंग और बेहतर बनाए जाएंगे। जो पहले से भी ज्यादा आधुनिक होंगे। मरीज को कृत्रिम अंग के लगने का पता भी नहीं होगा।
लिम्ब सेंटर में कृत्रिम अंग निर्माण यूनिट प्रभारी प्रोस्थेटिक ऑर्थोटिक विशेषज्ञ शगुन सिंह ने बताया कि अब तक जो कृत्रिम अंग लगाए जाते हैं। उनमें हल्की हवा जाने की शिकायत आती है। उन्हें सही बैठा पाने में थोड़ा मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कृत्रिम हाथ या पैर लगवाने वालों में यह दिक्कत अधिक देखने को मिलती है। इसके लिए नई वैक्यूम सक्शन मशीन आ रही है। इस मशीन इन्हें लगाना और भी आसान हो जाएगा। लगभग आठ से 10 लाख रुपये कीमत की मशीन की मदद से कृत्रिम अंग बनाना और आसान हो जाएगा। कृत्रिम अंग कम समय में बनाए जा सकेंगे। ज्यादातर कृत्रिम अंग प्लास्टिक के बनाए जाएंगे। जो काफी हल्के होंगे।
उन्होंने बताया कि कृत्रिम अंग बनाने में दो तरह की प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। थर्मोथेटिंग और पॉलीप्रोपलिन। जिसमें पॉलीप्रोपलिन नई एडवांस मशीन से बनाए जाएंगे। अभी जो मोल्डिंग मशीन से बनाए जाते हैं। वह लैमिनेटेड ही होते हैं। नए कृत्रिम अंग से अंग के भीतर हवा जाने की समस्या नहीं होगी।
प्रोस्थेटिक एवं आर्थेटिस्क दिवस पर निकाली रैली
केजीएमयू, डॉ. शकुन्तला मिश्रा नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी व लोहिया संस्थान की ओर से मंगलवार को गोमतीनगर स्थित 1090 चौराहे से जागरूकता रैली निकाली गई। रैली 1090 चौराहे से अम्बेडकर पार्क चौराहे तक निकाली गई। इस दौरान लोगों को कृत्रिम अंग के प्रति जागरुक किया गया।