लखनऊ । किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सकों ने मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग को कुपोषित होने से बचा लिया है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज की कुपोषण के चलते मौत तक हो जाती है। चिकित्सकों ने दूरबीन विधि से बिना चीरा और टांका लगाये मरीज के पेट में नली डाल दी है,जिससे मरीज के पेट में भोजन जा सकेगा और उसके जीवन पर मंडरा रहा खतरा कम हो सकेगा। केजीएमयू में इस विधि का पहली बार इस्तेमाल हुआ है।
बताया जा रहा है कि दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भी मोटर न्यूरॉन जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे ओर इसी बीमारी की वजह से उनका शरीर लकवाग्रस्त हो गया था। बाद में जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी।
दरअसल,प्रतापगढ़ निवासी रानी देवी 4 दिन पहले गांधी वार्ड में गंभीर हालत में भर्ती हुई थीं। वह मोटर न्यूरॉन डिजीज (एमएनडी) से पीड़ित बताई जा रही हैं।
चिकित्सकों की माने तो इस रोग में शरीर के सभी अंग धीरे-धीरे लकवाग्रस्त हो जाते हैं और मरीज के लिए खाना-पीना निगलना मुश्किल हो जाता है। जिससे मरीज कुपोषित हो जाता है और थोड़े समय बाद उसकी मौत हो जाती है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू ) के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी युनिट के एडिशनल प्रो.अजय कुमार पटवा ने बताया कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज को भोजन देने के लिए नाक से पेट में ट्यूब डाली जा सकती है या फीडिंग जेजुनोस्टॉमी बनाने के लिए पेट पर चीरा लगाया जा सकता है। लेकिन इन दोनों ही तकनीक से मरीज को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,लेकिन केजीएमयू में पहली बार एंडोस्कोपी ( दूरबीन विधि) के जरिये बिना चीरा और बिना टांका लगाये पेट में नली डालकर मरीज को भोजन देने का प्रबंध कर दिया गया है। इस नली के माध्यम से मरीज को तरल पदार्थ दिया जा सकता है। जिससे मरीज कुपोषित नहीं होगा। इस नली के जरिये दवा भी दी जा सकेगी। उन्होंने बताया कि पेट के ऊपरी हिस्से में पाइप का ऊपरी सिरा दिखाई पड़ेगा ।जहां से तरह पदार्थ को आसानी में डाला जा सकता है। जो सीधे पेट में पहुंचेगा।