लखनऊ। डाक्टर अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने के साथ ही लाये। इसके साथ ही पैसा कमाने का माइंडसेट छोड़ कर सेवाभाव से मरीजों का इलाज करें। बदलाव अपने आप हो जाएगा। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के 117 वें स्थापना दिवस समारोह में विशिष्ट अतिथि केजीएमयू स्थित जनरल सर्जरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रमाकांत ने कही। समारोह में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार भी उपस्थित थे।
- समारोह में 55 मेधावियों को मेडल प्रदान किये गये। इसके साथ ही कर्मचारियों को सम्मानित भी किया गया। कुलपति प्रो. विपिन पुरी ने केजीएमयू की वार्षिक रिपोर्ट में उपलब्धियां बतायी।
कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए कन्वेंशन सेंटर में आयोजित समारोह में विशिष्ट अतिथि प्रो. रमाकांत ने कहा कि डाक्टरों को सफलता और खुशी के पैरामीटर बताते हुए हावर्ड विश्वविद्यालय में हैप्पीनेस इंडक्स पर हुई स्टडी की चर्चा करते हुए तथ्य को सामने रखा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में वही लोग खुश हैं, जिनके पास अच्छे रिश्ते हैं। उन्होंने डाक्टरों से जरुरतमंद लोगों की बढ़ चढ़कर मदद करने की, आपस में मधुर रिश्ते बनाए रखने की अपील की। प्रो. रमाकांत के कहा कि डाक्टर्स दूसरा अपने व्यवहार में परिवर्तन लाए, कोई गलतफहमी न रखिये आैर खुद में बदलाव लाएं। कहीं भी हो वहां का माहौल खुद ठीक हो जाएगा।
समारोह में शामिल प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार मेडल एवं अवार्ड प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि कोरोना महामारी से जारी जंग में केजीएमयू के डाक्टर्स, पैरामेडिकल, नर्सिंग व कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने कहा कि सिर्फ कोरोना संक्रमण ही नहीं वरन यहां के डाक्टर जटिल बीमारियों का इलाज भी सफलता पूर्वक कर रहे है। यहां के डाक्टरों ने देश ही विश्वपटल पर नये आयाम स्थापित किये है।
समारोह में कुल 55 मेधावी छात्र छात्राओं, फैकल्टी डाक्टर्स को मेडल प्रदान किये गये। इसके अलावा बेस्ट डिपार्टमेंट अवार्ड, बेस्ट ग्रीन डिपार्टमेंट अवार्ड को मेडल से सम्मानित किया गया। कुलपति ले. ज. डा. बिपिन पुरी ने केजीएमयू की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उनके द्वारा बताया गया कि एमबीबीएस छात्रों के पहले बैच ने अक्टूबर 1911 में 31 छात्रों के साथ किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में प्रवेश किया। तब से, केजीएमयू ने 30,000 से अधिक मेडिकोज को चिकित्सक बनाने का कार्य किया। जो कि इस कॉलेज के गौरव हैं और भारत और दुनिया भर में चिकित्सा पेशे की सेवा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि गांधी मेमोरियल एवं संबद्ध अस्पतालों में किसी भी समय भर्ती किए गए (आन-बेड) समान संख्या वाले रोगियों के साथ 4000 से अधिक कार्यात्मक बिस्तर हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व कोविड समय में ओपीडी में रोजाना लगभग 9000-10000 नए रोगियों को चिकित्सीय सुविधा प्रदान की गयी।
इस अवसर पर डीन एकेडेमिक प्रो उमा सिंह, पूर्व प्रति कुलपति प्रो विनीत शर्मा, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रो अमिता पांडेय, सौमेंद्र विक्रम सिंह समेत वरिष्ठ डाक्टर्स मौजूद थे।
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