Kgmu : HRF दवा जांच में 5और दोषी आउटसोर्सिंग कर्मी दोषी बाहर, रिपोर्ट दर्ज

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में एचआरएफ के स्टोर की दवाओं में गड़बड़ी की रिपोर्ट शुक्रवार को जांच कमेटी ने कुलपति को सौंप दी। जांच में पांच और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर सस्ती दवा में घोटाला करने का मामला खुलासा हुआ है। केजीएमयू प्रशासन ने पांच कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। इन कर्मचारियों को ब्लैक लिस्ट करते हुए चौक कोतवाली में इनके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराया गया है। अब तक दस आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा चुका है। हालांकि कमेटी ने अभी तक केजीएमयू के किसी जिम्मेदारी अधिकारी व स्थायी कर्मी को दोषी नहीं पाया है।

 

 

 

 

 

बताते चले कि पिछले सप्ताह एसटीएफ ने केजीएमयू में एचआरएफ की सस्ती दवा की कालाबाजारी का भंडाफोड़ कर दिया था। यह लोग मरीजों के पर्चे के आधार पर जीवनरक्षक दवाओं को सस्ती दरों पर निकाल कर बाजार में कम दामों पर बेच देते थे। इस प्रकरण में मुख्य पीआरओ ऑफिस के निकट एचआरएफ स्टोर में तैनात फार्मासिस्ट रजनीश कुमार को दवाओं के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ में रजनीश ने धंधे में चार अन्य कर्मचारियों के नाम उगले थे।
केजीएमयू कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने अानन-फानन में सात सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। जांच के बाद सोमवार को पांच कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। इसके बाद कमेटी की गहन जांच और आगे की गयी। इसमें पीआरओ ऑफिस के निकट एचआरएफ के स्टोर में गड़बड़ियों की गहनता से पड़ताल की गयी, जिसमें दवा, इम्प्लांट और पैसे में गड़बड़ी की पुष्टि हुई, खामियां मिलने के बाद जांच कमेटी ने स्टोर में तैनात सभी कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लेने का फैसला किया।

 

 

दवा स्टोर में रजनीश कुमार सहित तीन फार्मासिस्ट व तीन कैशियर तैनात थे। रजनीश को पहले ही नौकरी से निकाला जा चुका है। बचे दो फार्मासिस्ट और तीन कैशियर को भी नौकरी से निकाल दिया गया है। इन पांचों कर्मचारियों के खिलाफ चौक कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

 

 

 

 

जांच में पाया गया है कि पांच कर्मचारियों ने दवाओं से लेकर मरीजों से जमा किए पैसे में खेल किया है। इसका हिसाब किताब लगाया जा रहा है। स्टॉक की भी मिलान की जा रही है। इसकी भरपाई आउटसोर्सिंग एजेंसी से की जाएगी। इसके लिए एजेंसी को नोटिस जारी कर दी गई है। कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल भी उठने लगे है। जांच में किसी भी एचआरएफ के काम से जुड़े अधिकारी व स्थायी कर्मियों को दोषी नहीं पाया गया है। जब कि यह लोग भी दवा से लेकर बिक्री की जानकारी व हिसाब किताब की आंकलन करते थे।

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