गलत रिपोर्ट आने के बाद भी दोबारा जमा करना पड़ता है शुल्क
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन पीपीपी माडल पर चली पैथालॉजी लैब पर कार्रवाई करने से कतरा रहे है। आलम यह है कि मेडिसिन विभाग के गांधी वार्ड में गेट पर बनी पैथालॉजी ब्लड कलेक्शन सेंटर पर आये दिन ब्लड में आट्रियल ब्लड गैस (एबीजी ) जांच करने वाली मशीन खराब रहती है, तो कभी प्रिंटर गड़बड़ रहता है। इससे तीमारदारों को जांच के लिए ट्रामा सेंटर भेज दिया जाता है। वहां लम्बी लाइन में एक से दो घंटे का वक्त सैम्पल जमा करने में लग जाता है। यही नहीं अक्सर गांधी वार्ड की लैब में गलत जांच रिपोर्ट मिल जाती है, तो दोबारा शुल्क जमा करके ही जांच की जाती है।
मेडिसिन विभाग के गांधी वार्ड ज्यादातर मरीजों से फुल रहता है। भर्ती मरीजों की तत्काल
आट्रियल ब्लड गैस (एबीजी ) ब्लड से जांच करने स्थिति की पता लगाया जाता है। इस जांच की रिपोर्ट भी दस से पद्रह मिनट में मिल जाती है। ताकि मरीज का इलाज सही तरीके से शुरू किया जा सकते। भर्ती मरीजों की स्थिति देखने के लिए भी एबीजी जांच डाक्टर सुबह शाम कराते है। यह जांच गांधी वार्ड के मेन गेट पर बनी पैथालॉजी कलेक्शन सेंटर पर की जाती है। गांधी वार्ड के मरीजों को यहां पर ज्यादा लम्बी लाइन नहीं लगानी पड़ती है।
परन्तु ज्यादातर एबीजी की जांच करने वाली मशीन खराब रहती है। तीमारदारों को ट्रामा सेंटर जांच के लिए भेज दिया जाता है। ट्रामा सेंटर में पहले से ही तीमारदारों की लम्बी लाइन लगी होती है। ऐसे में 15 मिनट में मिलने वाली जांच रिपोर्ट के आने में एक से दो घंटा लग जाता है। यही नही गांधी वार्ड में प्रिंटर भी खराब रहता है आैर आये दिन रिपोर्ट भी गलत मिल जाती है।
तीमारदार की शिकायत पर दोबारा शुल्क जमा करने की रसीद पर ही ब्लड सैंपल जमा किया जाता है। पीपीपी माडल के तहत काम करने से विभाग के जिम्मेदार डाक्टर भी कोई सुनवाई नहीं करते है आैर तीमारदार दिन रात परेशान रहते है। केजीएमयू प्रवक्ता डा. सुधीर का कहना है कि विभाग के अधिकारियों से कह कर मशीन को ठीक करा दिया जाएगा।