लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डाक्टरों ने पूरे शरीर को ब्लड सर्कुलेट करने वाली क्षतिग्रस्त महाधमनी की सर्जरी नयी तकनीक से आसान कर दी है। अब लम्बा चीरा लगाये बिना महीन सुराख से क्षतिग्रस्त महाधमनी की सर्जरी करने में सफलता हासिल कर ली है। इस तकनीक में जांघ में महीन सुराख कर कैथेटर की मदद से करने में क्षतिग्रस्त महाधमनी की मरम्मत सफ लता पूर्वक कर ली गयी।
वाराणसी के रहने वाले 45 वर्षीय पुरुष को पेट में तेज दर्द हुआ था। परिजनों ने आनन-फानन में मरीज को स्थानीय अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। डाक्टरों के परामर्श पर परिजन मरीज को लेकर केजीएमयू इलाज कराने के लिए पहुंचे। यहां पर डॉक्टरों ने सीटी स्कैन जांच करायी। सीटी स्कैन की जांच में टाइप बी महाधमनी क्षतिग्रस्त होना पाया गया। केजीएमयू के विशेषज्ञ डाक्टरों ने परामर्श करके थोरैसिक एंडोवास्कुलर एओर्टिक रिपेयर तकनीक से सर्जरी करने का निर्णय लिया। इस तकनीक के तहत सर्जरी में डॉक्टरों ने मरीज के जांघ में महीन सुराख करके क्षतिग्रस्त महाधमनी की मरम्मत करने में सफलता पायी।
इसी प्रकार 54 वर्षीय महिला को भी खांसी और सीने में दर्द होने पर पर भारी ब्लीडिंग हो गयी। जांच के बाद उसकी भी थोरैसिक एंडोवास्कुलर एओर्टिक रिपेयर प्रक्रिया से उनका भी सर्जरी करके उसका जीवन बचा लिया गया। रेडियोडायग्नोसिस विभाग के वरिष्ठ डॉ. अनित परिहार और नितिन अरूण दीक्षित ने सयुक्त रूप से बताया कि महाधमनी शरीर के सभी अंगों को ब्लड सर्कुलेट करने का काम करती है। पहले इसके क्षतिग्रस्त होने पर मेजर सर्जरी करनी पड़ती थी। इससे मरीज को अधिक दिनों तक अस्पताल में रखा जाता था आैर इस दौरान संक्रमण समेत दूसरी समस्याओं का खतरा बना रहता है। मेजर सर्जरी के बाद मरीज को काफी दिनों तक कमजोरी महसूस होती थी। नयी तकनीक से की गयी सर्जरी से मरीज को काफी दिक्कतें कम हो गयी है आैर जल्द रिकवरी कर लेता है।
सर्जरी करने वाली टीम में रेडियो डायग्नोसिस विभाग के डॉ. अनित परिहार, मेजर डॉ. नितिन अरुण दीक्षित, डॉ. सौरभ कुमार, डॉ. सिद्धार्थ मिश्रा और डॉ मनोज कुमार शामिल थे। केजीएमयू कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने इस उपलब्धि के लिए टीम को बधाई दी है।