लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में पद के समान कर्मचारियों की तैनाती करने में पसीने छूट रहे है। तमाम निर्देशों के बाद भी विभिन्न विभाग में तैनात कर्मचारियों को उनके मूल पदों पर नहीं भेज पा रहे है। टेक्नीनिशयन ग्रेड बाबूगिरी कर रहा है, तो ऑडियो मैट्रिस्ट का टेस्ट करने की बजाय टेक्नीशियन आईटी सेल में काम कर रही हैं।
बताते चले कि राज्यपाल व शासन के हस्तक्षेप के बाद केजीएमयू प्रशासन एक्शन मोड में तो आ गया। इसके बाद केजीएमयू कुलसचिव ने सभी विभागों के प्रमुख को आदेश भेजकर पद के अनुरूप कर्मचारियों की तैनाती करने के लिए निर्देश दिया है।
केजीएमयू के विभिन्न विभागों व कार्यालयों में लगभग 2200 कर्मचारी तैनात हैं। आंकड़ों को देखा जाए तो इनमें बड़ी संख्या में लैब टेक्नीशियन व सहायक लिपिक संवर्ग पद के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं। इस कारण से टेक्नीशियन कार्य का संकट बन गया है। इससे मरीजों को परेशानी हो रही है। जांच के लिए मरीजों की लम्बी वेंटिग हो रही है। अगर देखा जाए तो डेंटल टेक्नीशियन भी अपने पद पर रहने की बजाय कुलसचिव व कुलपति कार्यालय में बाबूगिरी कर रहे हैं।
मरीजों की ऑडियो मैट्रिस्ट का टेस्ट करने की बजाय टेक्नीशियन आईटी सेल में काम कर रही हैं। वही लैब सहायक वित्त विभाग गुणा भाग करने में जुटा हैं। जिसको मरीजों का मेडिकल रिकार्ड टेक्नीशियन कुलपति कार्यालय में तैनात चल रहा है। इसकी प्रकार मानसिक रोग विभाग का एक मात्र तकनीकी जानकारी कुलसचिव कार्यालय में स्टेनों पर तैनात है।
।विभाग की मांग के बाद भी कुल सचिव कार्यालय खुद रिलीज नहीं कर पा रहा है। कुछ अधिकारियों का मानना है कि टेक्नीशियन ग्रेड के कर्मचारियों से लिपिक संवर्ग का काम लिया जा रहा है। यह सब जुगाड़ से तैनात है, जिनका काकस केजीएमयू के जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं तोड़ पा रहे है। केजीएमयू प्रशासन अभी खामियों को छुपाने के लिए इन्हीं पदों पर संविदा के आधार पर टेक्नीशियन की तैनाती की जा रही है, जो कि वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। शिकायत के बाद अधिकारी सिर्फ आदेश जारीकर अपनी जिम्मेदारी का इतिश्री कर लेते है, उनके आदेश निर्देश पर कितना अमल हो रहा हैं। इस पर ध्यान भी नहीं देते है।