लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्याय की 42 कार्यपरिषद में सोमवार को ऐतिहासिक निर्णय लिये गये। कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट की अध्यक्षता में कार्यपरिषद में दोनों डाक्टरों को प्रशासनिक व वित्तीय अनियमितता के अलावा शोध परियोजनाअों में अनियमितता व अन्य आरोप में जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया। कार्यपरिषद में कहा गया कि आरोप पत्र जारी करने के बाद लगातार जवाब देने के लिए मौका दिया गया। इन दोनों डाक्टरों के प्रकरण में उच्चस्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सोमवार की कार्यपरिषद में बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा बैठक में रिह्मेटोलॉजी विभाग के डा. अनुपम बाखलू को बिना केजीएमयू के अनुमति के एक कम्पनी के निदेशक के रूप में काम करने पर अनुशासनिक समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया है। वही कोविड-19 को देखते हुए ओपीडी सेवाओं को सिलसिलेवार चलाने के सम्बध में निर्णय लिया गया।
केजीएमयू में 42 कार्यपरिषद की बैठक काफ ी हंगामेदार रही। यह कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ठ के कार्यकाल की आखिरी कार्यपरिषद की बैठक है। बैठक में महत्वपूर्ण रूप से पीडियाट्रिक सर्जरी के डा. आशीष बाखलू को केजीएमयू में सीपीएमएस स्थापित करने के लिए मार्च 2010 में नोडल आफिसिर नियुक्ति किया गया था, जिसमें कई प्रशासनिक अनियमिता के अलावा वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे। गंभीर आरोप लगने पर पूर्व की कार्यपरिषद में छह सदस्यीय अनुशासनात्मक समिति का गठन किया गया। समिति में कुलपति, कुलसचिव के अलावा पूर्व लोकायुक्त,सेवानिवृत्त न्यायाधीश, उच्चन्यायालय के अतिरिक्त दो सेवानिवृत्त जिला जज भी थे। समिति गठन के बाद 14 जून 2019 को डा. आशीष बाखलू को आरोप पत्र जारी किया गया। काफी समय देने के बाद भी आरोप पत्र का जवाब नही मिला। अनुशासत्मक समिति ने जांच आख्या प्रस्तुत की, जिसे 19 मार्च 2020 की कार्यपरिषद में अनुमोदित करते हुए डा. बाखलू को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया।
जांच सम्तिि ने सीपीएमएस कार्य में अनियमितताओं में दोषी पाया गया। इसके अलावा एक कम्पनी बनाकर निजी व्यवसाय भी चलाने का दोषी पाया गया। यही नही कुलाधिपति सहित अन्य उच्च अधिकारियों को फर्जी व कूट रचित दस्तावेज के अलावा गलत सूचना देना का भी आरोपी पाया गया है। कार्यपरिषद की बैठक में आज अनुशासात्मक समिति की जांच आख्या व अन्य जांच रिपोर्ट के आधार पर डा. आशीष बाखलू को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा केजीएमयू के सेंटर फार एडवांस रिसर्च की डा. नीतू सिंह (नान मेडिकल) पर भी 19. 10.2019 की कार्य परिषद की बैठक में अनुशासात्मक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया था।
डा. नीतू सिंह को कार्यपरिषद ने आरोप पत्र एक जनवरी 2020 को जारी किया था। इसके बाद लगातार समय देने के बाद भी जवाब नही दिया गया। समिति की जांच आख्या में डा. नीतू पर शोध परियोजनाओं से जुड़े कार्यो में अनुचित दबाव, अनियमितताओं आदि का गंभीर दोषी पाया गया। इसके बाद डा. नीतू को कारण बताओ नोटिस भी दिया गया। कोई जवाब नहीं दिया गया। जिस पर समिति की जांच आख्या के आधार पर तथा अन्य पत्राचारों का सम्यक अवलोकन करने के बाद डा. नीतू सिंंह की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया।