लखनऊ। लेप्रोस्कोपी सर्जरी फादर इन इंडिया प्रो. टेमोटेन इ उडवाडिया ने डाक्टरों को सर्जरी में सिमलुटेर बेस प्रशिक्षण देने के लिए कहा आैर एजुकेशन कैरीकुलम अपडेट करने का परामर्श दिया। वह किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सर्जरी विभाग का 112 वां स्थापना दिवस समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में अन्य विशेषज्ञों ने सर्जिकल अपडेट की नयी तकनीक की जानकारी दी। समारोह का उद्घाटन केजीएमयू कुलपति प्रो. रविकांत ने किया।
प्रो. उडवाडिया ने कहा कि वर्ष 1982 में लेप्रोस्कोपी तकनीक से सर्जरी की शुरूआत हुई थी। शुरूआत में इस तकनीक से सर्जरी को लेकर काफी भ्रम थे, लेकिन वर्तमान में यह सर्जरी अब सबसे सफल है। उन्होंने बताया कि सर्जरी का प्रशिक्षण होना चाहिए। इसके लिए सर्जरी प्रशिक्षण के लिए मेडिकल कालेजों में डाक्टरों के लिए स्किल लैब का होना आवश्यक है। यहां पर सिमुलेटर बेस प्रशिक्षण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा का एक कैरीकुलम होना चाहिए , ताकि सर्जन नयी तकनीक से लोग अपडेट रहे आैर मरीज को बेहतर इलाज मिल सके। उन्होंने कहा कि केजीएमयू के सर्जरी विभाग में स्किल लैब बेहतर है।
उन्होंने विभाग का भ्रमण भी किया –
यहां पर सर्जरी का बेहतर प्रशिक्षण दिया जा सकता है। बीएचयू के डा. अजय खन्ना ने बताया कि रेक्टम प्रोलेक्स यानी मलद्वार से आंत के बाहर आने पर सर्जरी करने की तकनीक बतायी। उन्होंने बिना जाली लगाये भी एक विशेष तकनीक से सर्जरी करने की जानकारी दी। टाटा मेमोरियल के डा. शैलेश ने कहा कि पैक्रियाज ट¬ूमर को एक तक नीक से बिना धमनियों व संवेदनशील रक्तवाहिकाओं के नुकसान पहुंचाये सर्जरी की जा सकती है। समारोह का उद्घाटन केजीएमयू कुलपति प्रो. रविकांत ने किया।
सर्जरी के विभागाध्याक्ष डा. अभिनव अरूण सोनकर ने वार्षिक रिपोर्ट बताते हुए कहा कि ओपीडी में कुल 50445 रोगियों को देखा गया। वहीं 10074 मरीजों की सर्जरी की गयी। विभाग में आर्गन बेस तकनीक से सर्जरी लगातार की जा रही है। समारोह में डा. अरशद, डा. संदीप तिवारी, डा. सुरेश, डा. विनोद जैन सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।