केजीएमयू कुलपति के आरोपों की जांच ठंडे बस्ते में

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लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एमएलबी भट्ट पर लगे आरोपों की जांच चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय फाइलों में दबा दी गयी है। शासन ने तीस अप्रैल को यह जांच चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक (डीजीएमई) को देते हुए 15 दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा था। 18 दिन निकलने के बाद भी अब तक इस जांच में डीजीएमई के स्तर से शुरु नहीं हुई है। आश्चर्य तो यह है कि डीजीएमई ने जांच के लिए अभी तक कोई दस्तावेज तक नहीं मांगे हैं।
मोहनलाल गंज निवासी अधिवक्ता ओर से कुलपति पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाते हुए शिकायत की गई।

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इसमें अपने करीबी को उप चिकित्सा अधीक्षक, डिप्टी रजिस्ट्रार बनाने के साथ सहायक कुलसचिव की नियुक्ति में योग्यता की अनदेखी के अलावा सी. रेजीडेंट ( एसआर) की नियुक्ति में अयोग्य की नियुक्ति करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इसका संज्ञान लेते हुए शासन की ओर से डीजीएमई को जांच सौंप कर जांच रिपोर्ट 15 दिन में शासन को भेजनी थी।

केजीएमयू के कुलसचिव राजेश राय ने बताया कि शासन की ओर से पत्र आया था कि डीजीएमई को जांच से जुड़े प्रपत्र मुहैया कराएं, लेकिन डीजीएमई ओर से अब तक कोई भी पत्र नहीं आया है। जब डीजीएमई की ओर से कोई दस्तावेज मांगा जाएगा तो उसकी भी व्यवस्था कर दी जाएगी। हालांकि अगर दो तीन दिनों में डीजीएमई की ओर से पत्र नहीं आता है तो हम खुद ही अपनी तरफ से दस्तावेजों को भेज देंगे। डीजीएमई केके गुप्ता ने बताया कि जांच में समय लगता है और इसलिए अभी जांच में कोई काम नहीं हो सका है। हालांकि प्रकिया चल रही है, केजीएमयू से भी जवाबतलब किया जाएगा।

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