केजीएमयू में तीन लाइव के बाद चौथा पहला कैडबर लिवर प्रत्यारोपण सफल

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The Liver (Gall Bladder Removed)

लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग ने तीन लाइव लिवर प्रत्यारोपण के बाद चौथा कैडवर लिवर प्रत्यारोपण करने में सफलता प्राप्त कर ली है। केजीएमयू में कैडबर लिवर प्रत्यारोपण पहली बार हुआ है। यह सुल्तानपुर निवासी महिला का कैडबर लिवर मेरठ के युवक को प्रत्यारोपित किया गया है। प्रत्यारोपण के बाद युवक को होश में आ गया है आैर हालत में सुधार है। सुल्तानपुर के गोसाईसिंहपुर निवासी वंदना (35) पत्नी हरि प्रसाद नौ जून को अपनी बहन के साथ बाजार जा रही थीं। रास्ते में बाइक के तेज टक्कर मारने वह घायल हो गयी। उन्हें परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर हालत गंभीर बताने पर उन्हें बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया। बारह जून को हालत में सुधार न होने पर डाक्टरों ने ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। हालत गंभीर देखते हुए ट्रामा सेंटर में न्यूरो सर्जरी विभाग के डाक्टरों की टीम ने सर्जरी की।

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25 जून को ब्रोन डेड होने पर ट्रांसप्लांट को आर्डिनेटर पीयूष श्रीवास्तव, शिक्षित वर्मा व सोशल वर्कर अश्वनी सिंह ने परिजनों से आर्गन डोनेशन के लिए बात चीत की। पहले तो परिजन तैयार नहीं हुए, लेकिन कई चरणों की वार्ता के बाद वंदना के पति हरिप्रसाद और अन्य परिजन तैयार हो गए। इसके डाक्टरों की टीम वंदना का लिवर और कार्निया सुरक्षित किया। वंदना से लिया कैडबर लिवर मेरठ निवासी 35 वर्षीय युवक को प्रत्यारोपित किया गया। यह युवक करीब नौ माह से लिवर सिरोसिस से जूझ रहा था। प्रत्यारोपण कराने वाले युवक की हालत स्थिर है। डाक्टरों ने लिवर प्रत्योपरण की प्रक्रिया मंगलवार को दोपहर बाद करीब तीन बजे से शुरू हुआ और बुधवार की सुबह चार बजे तक चली।

वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन डा. अभिजीत चंद्रा ने बताया कि कैडवर से प्राप्त लिवर का प्रत्यारोपण केजीएमयू में पहली बार किया गया है। वैसे यहां आर्गन डोनेशन की प्रक्रिया वर्ष 2013 से चल रही है। अब तक मल्टी आर्गन डोनेशन 19 कराए जा चुके हैं। यह 20 वां डोनेशन हैं। यहां से डोनेट कराए जाने वाले मल्टी आर्गन दिल्ली या पीजीआई संस्थानों को भेजे जाते थे। केजीएमयू में पहली बार कैडेबर लिवर प्रत्यारोपण किया गया है। कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ट्रांसप्लांट को आर्डिनेटरों की अहम भूमिका रही, जो परिजनों को यह समझाने में सफल रहे हैं कि अंगदान से दूसरे मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

लिवर प्रत्यारोपण करने वालों में यह थी डाक्टरों की टीम

लिवर प्रत्यारोपण करने वाली टीम में सर्जिकल गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. अभिजीत चंद्रा, डा. विवेक गुप्ता, डा. प्रदीप जोशी, एनेस्थिसिया विभाग के डा. अनीता मलिक, डा. मोहम्मद परवेज, डा. एहसान सिद्दकी, क्रिटिकल केयर के डा. अविनाश अग्रवाल, डा. आर्मिन अहमद, रेडियोलाजी विभाग के डा. रोहित, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की डा. तुलिका चंद्रा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डा. अमिता जैन, डा. प्रशांत, डा. शीतल वर्मा, पैथोलॉजी विभाग के डा. अतिन, डा. वाहिद, कार्डियोलॉजी के प्रो. वीएस नारायण, डा. गौरव चौधरी, पल्मोनरी के डा. सूर्यकांत, डा. दर्शन बजाज, सीएमएस डा. एसएन शंखवार, एमएस डा. बीकेओझा आदि शामिल थे। इसकेअलावा मैक्स के डा. शालीन अग्रवाल, डा. वैभव शामिल थे। अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं है।

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