लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित अमृत फार्मेसी में नॉरकोटिक्स और एंटीबायोटिक्स दवाओं की बिक्री की जा रही है। यहां पर बिना अनुमति व डाक्टरों के परामर्श के शिड्यूल एच की दवाएं मरीजों को बेची जा रही है। इस पता तब चला कि जब बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ( एफएसडीए) की टीम ने दवा की दुकान में जांच की। यहां पर नॉरकोटिक्स व एंटीबायोटिक्स दवाएं की बिक्री ही नही जा रही थी कि बल्कि उनके बिक्री दस्तावेजों में संबंधी गड़बड़ी मिली है। इसके बाद तत्काल प्रभाव से केजीएमयू ओपीडी और क्वीनमेरी स्थित अमृत फार्मेसी में नॉरकोटिक्स और एंटीबायोटिक्स दवाओं को बेचने पर रोक लगा दी गई है। जांच के दौरान दवाओं के छह नमूने जांच के लिए भेज दिये गये हैं। इसके बाद अमृत फार्मेसी पर कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है।
बताया जाता है कि एफएसडीए को केजीएमयू के अमृत फार्मेसी में बिना डॉक्टर के पर्चे के नॉरकोटिक्स एवं एंटीबायोटिक्स दवाएं की बिक्री की शिकायत मिली थी। यह शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी गयी थी। वहां से निर्देश के बाद एफएसडीए विभाग के इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव एवं माधुरी सिंह ने पूरी टीम के साथ बुधवार को केजीएमयू स्थित अमृत फार्मेसी की दुकानों पर छापेमारी की। एफएसडीए की टीम बुधवार सुबह दोपहर में केजीएमयू ओपीडी स्थित अमृत फार्मेसी के मुख्य दवाखानें की जांच पड़ताल शुरू की। यहां पर शिड्यूल एच और एच वन की दवाओं के खरीद व बिक्री संबंधी रिकॉर्ड अधूरे थे। यही नही बिना डॉक्टर की परामर्श के भी नारकोटिक्स दवाएं बेची जा रही थी। यहां पर कैशमेमो में लाइसेंस नंबर नहीं था आैर अन्य मानक भी पूरे नही थे।
पूरी जांच के बाद शिड्यूल एच और एच वन की दवाओं की बिक्री पर रोक का निर्देश दिया गया है। यहां से ट्रेमाडॉल, एल्प्राजडोलान और एक अन्य एंटीबायोटिक्स के नमूने लिए गए हैं। स्टोर संचालक की भी कोई जानकारी दी गयी। टीम जब क्वीन मैरी स्थित अमृत फार्मेसी पहुंची, तो यहां भी नॉरकोटिक्स और एंटीबायोटिक्स दवाओं की बिक्री तो हो रही थी, लेकिन दस्तावेज नहीं मिले। यहां से भी दो दवाओं के नमूने लिए गए। केजीएमयू के बाद टीम ठाकुरगंज स्थित विमला मेडिकल स्टोर पहुंची, तो यहां फार्मासिस्ट मौजूद नहीं था। यहां पर दवाओं के रखरखाव में खामियां मिली। यहां से एक दवा का नमूना लिया गया है। सभी छह सैंपल को जांच के लिए लैब भेजा गया है।
तीनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ड्रग लाइसेंस अथारिटी को लिखा गया है। टीम ने इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव का कहना है कि शिड्यूल एच और एच वन की दवाओं की बिक्री को लेकर गाइडलाइन बनी है। इसकेतहत इस इन दवाओं की बिक्री के लिए मेडिकल स्टोर मालिक को डॉक्टर के पर्चे की कॉपी, मरीज का नाम, मोबाइल नंबर और दवाओं की संख्या का रिकॉर्ड रखना होता है। शेड्यूल एच व एच वन में नारकोटिक्स दवाएं हैं, जो ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और अन्य मानसिक रोग में डॉक्टर की सलाह पर मरीज को दी जाती हैं। एफएसडीए विभाग असिस्टेंट कमिश्नर रमाशंकर ने बताया कि जल्द ही अन्य अस्पतालों के दवाखाने की भी पड़ताल की जाएगी। बिना मानक के दवाओं की बिक्री को नहीं होने दिया जाएगा।
इस बारे में केजीएमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर ने बताया कि यह प्रकरण अमृत फार्मेसी के संचालक से बात की गई। उनका कहना है कि औषधि निरीक्षक को सभी दस्तावेज दिखाए गए हैं। उनका कहना है कि केजीएमयू का इसका सीधा संबंध भी नहीं है। फिर भी मामले की गंभीरता को देखते हुए केजीएमयू प्रशासन अमृत फार्मेसी से स्पष्टीकरण लेगा।
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