लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में अब नशे की हालत में अगर रेजीडेंट के होने की पुष्टि हो गयी, तो उसकी बर्खास्तगी तक हो सकती है। यह सर्कु लर केजीएमयू प्रशासन जारी करने जा रहा है। केजीएमयू में नशे की हालत में रेजीडेंटों की घटनाएं हो चुकी है। इसमें प्रमुखता रेजीडेंट डाक्टरों द्वारा ट्रामा सेंटर में जबरदस्त मारपीट की घटना, वार्ड में घुस कर मरीज की तीमारदार बेटी से अभद्रता करना तथा इसके अलावा कई घटनाओं को लेकर रेजीडेंट डाक्टरों के कारण केजीएमयू प्रशासन की छवि धूमिल होती जा रही है। ट्रामा सेंटर में मेडिसिन विभाग व आर्थोपैडिक विभाग के रेजीडेंट डाक्टरों की मारपीट की घटना बड़ी होने के बाद केजीएमयू प्रशासन को होश आया है। केजीएमयू कुलपति, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व अन्य जिम्मेदारी अधिकारियों की लम्बी चली बैठक में निर्णय लिया गया कि रेजीडेंट डाक्टरों की अभद्रता के प्रति सख्त कदम उठाया जाएगा।
इसके अलावा कई निर्णय आैर लिये गये है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार ने बताया कि ट्रामा सेंटर की घटना में नशे की हालत के कारण मारपीट होना निंदनीय है। नशे की हालत में रेजीडेंट डाक्टर वार्ड में जाते है आैर इलाज करना बिल्कुल गलत है। यह सब वह लोग चोरी छिपे कर रहे थे। लगातार घटनाएं होने के बाद केजीएमयू प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एसएन शंखवार ने बताया कि कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट से वार्ता के बाद एक सर्कुलर जारी किया जा रहा है कि अगर कोई रेजीडेंट नशे की हालत में क्लीनिक क्षेत्र यानी की वार्ड, विभाग मिलता है तो जांच के बाद उसकी बर्खास्तगी की कार्रवाई कर दी जाएगी। केजीएमयू प्रशासन इसमें कोई कोताही नहीं बरतेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में केजीएमयू में सीनियर व जूनियर मिलाकर लगभग नौ सौ रेजीडेंट डाक्टर हो जाएंगे।
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