लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में तीन किडनी प्रत्यारोपण होने के बाद भी आईसीयू की कमी से प्रत्यारोपण रोकना पड़ गया। अगर शताब्दी अस्पताल में आईसीयू का निर्माण कर दिया जाता तो अब तक किडनी प्रत्यारोपण शुरू किया जा चुका होता। पीजीआई के बाद केजीएमयू ने किडनी प्रत्यारोपण करना शुरू कर दिया था। पीजीआई डाक्टरों की मदद से तीन किडनी का प्रत्यारोपण भी कर लिया था। किडनी, लिवर करने के लिए ट्रामा सेंटर आने वाले ब्रोनडेड मरीजों को अंगदान करने के लिए काउंसलिंग भी शुरू कर दी गयी थी।
इसमें सफलता भी मिलने लगी थी। इसके बाद ज्यादातर किडनी तो पीजीआई भेज दिया जाता है लेकिन पीजीआई में लिवर प्रत्यारोपण में सफलता नहीं मिलने पर दिल्ली के अस्पताल भेजा जाता है। केजीएमयू में डायलिसिस यूनिट तो लगातार रन कर रही है, लेकिन अब आईसीयू यूनिट को शताब्दी अस्पताल के आखिरी तल पर बनने का इंतजार किया जा रहा था। सरकारी एंजेसी होने के कारण अभी तक आईसीयू यूनिट केजीएमयू को हैंड ओवर नहीं कि या गया है। ऐसे में केजीएमयू में किडनी प्रत्यारोपण कब किया जाए इसका कोई अंदाजा अधिकारियों को भी नहीं है।