लखनऊ – किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में एमआरआई जांच बंद हो गयी है। जांच न होने की स्थिति में तीमारदारों को मरीजों को प्राइवेट सेंटर ले जाना पड़ रहा है। निजी सेंटर जांच का अधिक शुल्क होने के कारण गरीब मरीज के तीमारदार परेशान है। इस बारे में केजीएमयू प्रशासन का दावा है एमआरआई मशीन को अपग्रेड किया जा रहा है। लगभग दस दिन तक मरीजों को जांच के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
केजीएमयू के एमआरआई सेंटर में ज्यादातर सौ के आस-पास गंभीर मरीजों की जांच होती थी, जबकि अन्य मरीजों को जांच के लिए वेटिंग में कर दिया जाता है। यहां पर एमआरआई जांच के लिए करीब साढ़े तीन हजार रुपए शुल्क निर्धारित है। एमआरआई के कंट्रास टेस्ट भी ज्यादा नही है। यहां पर करीब तीन दिन से एमआरआई जांच बंद है। ट्रामा सेंटर व वार्डो से जांच के लिए मरीजों को निजी सेंटर भेजा जा रहा है। यहां पर एमआरआई जांच के लिए निजी सेंटरों के दलालों में मार चल रही है। सभी गंभीर मरीज को ले जाने के लिए एम्बुलेंस को ट्रामा सेंटर के बाहर ही खड़ा रखते है।
दलालों के इशारे में पर भर में एम्बुलेंस अंदर आ जाती है। ट्रॉमा सेंटर आए मरीज दयाशंकर को न्यूरो सर्जरी के डॉक्टरों ने एमआरआई जांच कराने के लिए भेजा। तीमारदार उन्हें लेकर जांच केंद्र ले गए तो पता चला कि जांच बंद है। ऐसे में उन्हें वापस लौटना पर तीमारदार उन्हें जांच के लिए निजी सेंटर ले गए। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि एमआरआई मशीन में खराबी नहीं, बल्कि मशीन को अपग्रेड किया जा रहा है। अभी दस दिन बाद जांच शुरू होने की उम्मीद है। जांच के लिए मरीजों को निजी सेंटर भेजने की बजाय सरकारी संस्थानों में भेजा जा रहा है।
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