लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बुधवार को 18 वां लिवर दान कराया गया। अंगदान की खासियत यह थी कि डाक्टरों को परिजनों को जागरूक करने की आवश्यकता नहीं करना पड़ा। अंगदान करने वाले ए के सिंन्हा ने खुद ही अंगदान के प्रति जागरूक थे आैर इसके लिए चोट लगने के बाद होश में न आने पर परिजनों ने केजीएमयू के डाक्टरों से सम्पर्क कि या अौर अंगदान कराया। आपरेशन में किडनी सही न होने के कारण संजयगांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान नहीं गयी, लेकिन लिवर लेकर गैस्ट्रोसर्जन डा. अभिजीत चंद्रा रात में ही दिल्ली रवाना हो गये। लिवर ले जाने के लिए यातायात पुलिस ने चंद मिनटों में ग्रीन कारीडोर बनाया , जिससे लिवर एयरपोर्ट पहुंचा आैर दिल्ली फ्लाइट से चला गया। वह कार्निया से दूसरों की अंंाखों में रोशनी दे गये। परिजनों के अनुसार ए के सिंन्हा वर्ष 2002 में रायबरेली में सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। तैनाती के दौरान वह बेदाग छवि के लिए जाने जाते थे। बेटे शैलेन्द्र ने बताया कि अपने पिता के अंगदान करने पर गर्व है।
बेटे शैलेन्द्र ने बताया कि 26 फरवरी को गाजियाबाद में मार्निंग वॉक के दौरान स्पीड ब्रोकर के कारण गिर गये। उन्हें तत्काल निकट के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी आैर उन्हें होश भी नहीं आ रहा था। गृह जनपद लखनऊ के त्रिवेणी नगर में घर होने से पिता का बेहतर इलाज के लिए वहां से विवेकानंद अस्पताल रेफर करा कर ले अाया गया। उन्होंने बताया कि यहां पर इलाज के बाद उनके पिता को होश नहीं आया था। उन्होंने पहले से जागरूक होते हुए डोनेशन फार्म भर रखा था। इसलिए कल शाम को केजीएमयू से सम्पर्क करके आईसीयू में शिफ्ट करा दिया गया। यहां हार्ट अटैक भी हो गया। इसके बाद तत्काल डाक्टरों की टीम ने यूरोलॉजी व गैस्ट्रोंसर्जन्स की टीम ने अंगदान के लिए आपरेशन शुरू कर दिया।
डाक्टरों ने जांच में पाया कि किडनी प्रत्यारोपण करने योग्य नहीं थी, लेकिन लिवर सही होने पर डा. अभिजीत चंद्रा की टीम उसे तत्काल लेकर दिल्ली जाने की तैयारी करने लगे। डा. चंद्रा अपनी टीम के साथ लिवर लेकर रात लगभग 9.41 पर केजीएमयू से निकले। यातायात पुलिस की मदद से ग्रीनकारीडोर बनाया जा चुका था। एम्बुलेंस सीधे एयर पोर्ट पहुंची आैर लिवर दिल्ली चला गया।