लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने सेवा प्रदाता एजेंसियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि केजीएमयू व एजेंसियां के प्रत्येक दस प्रतिशत मानदेय में वृद्धि करने का अनुबंद हुआ था, परन्तु यह करार तीन सालों से फाइलों में बंद है। शिकायतों के बाद भी केजीएमयू प्रशासन एजेंसी संचालकों पर कार्रवाई नहीं रही है।
केजीएमयू में संविदा कर्मचारी संगठन की बैठक में बड़ी संख्या में आउटसोर्सिंग कर्मचारी एकत्र हुए। संगठन के अध्यक्ष रितेश मल ने कहा कि केजीएमयू में 5000 से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारी तैनात हैं। पांच एजेंसियां यहां काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी ने प्रत्येक वर्ष दस प्रतिशत मानदेय बढ़ाने का करार किया था। तीन साल भी नियम का पालन अभी तक नहीं हो पाया। हाल यह है कि समय पर वेतन भी नहीं मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को बिना कारण या छोटी-मोटी गलती बता कर हटा दिया जा रहा है। आरोप हैं कि बिना सेवा योजना के नये कर्मचारी की भर्ती की जा रही है। केजीएमयू में सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का एजेन्सी द्वारा ईपीएफ और ईएसआईसी तो काटा तो जा रहा है, लेकिन कर्मचारियों के खाते में डाला ही नहीं जा रहा है। न ही किसी प्रकार का ईएसआईसी कार्ड दिया गया। जिससे कर्मचारी अपना इलाज कराने में दिक्कत हो रही है।
-केजीएमयू में सभी पांचों एजेंसियों का वर्दी अलग-अलग है। कर्मचारियों को एक वर्दी सिली हुई दी गई है। दो-दो वर्दी देने का प्रावधान है।