लखनऊ। विश्व तंबाकू निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय ने परिसर में तम्बाकू के उत्पादों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की घोषणा कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने की है। कुलपति प्रो. भट्ट ने बताया कि उन्होंने संस्थान परिसर में तम्बाकू के उत्पादों गुटखा-पान आदि के सेवन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इस पर सख्ती से पालन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसके लिए परिसर में आने वाले लोगों के साथ-साथ नगर निगम को भी सहयोग करना होगा। परिसर के बाहर फुटपाथ पर तम्बाकू गुटखा की दुकानों की सजने वाली दुकानों को नहीं लगने दिया जाए। उन्होंने कहा कि केजीएमयू में आने वालों की प्रवेश गेट पर ही रोक दिया जायेगा और जो गुटखा आदि खाने वाले पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। इसके लिए तीमारदार व अन्य सभी के सहयोग की जरुरत है। केवल प्रतिबंध के बोर्ड लिखकर लगाने से समस्या का हल नहीं होगा। इसका सख्ती से पालन करना होगा। उन्होंने बताया कि आमतौर पर तंबाकू सेवन से मुंह और गले के कैंसर के लिये जिम्मेदार समझा जाता है, लेकिन गुटखा और सिगरेट के शौकीनो को जान लेना चाहिये कि उनकी यह लत उन्हे दिल की बीमारी की ओर तेजी से ढकेल रही है। इससे हार्ट अटैक भी पड़ सकता है।
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी विभाग के प्रमुख प्रो. सूर्यकांत ने कहा कि तंम्बाकू से सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रूपये की आय होती है लेकिन इसके होने बीमारियों के इलाज पर करीब चार गुना खर्च करना पड़ता है1 उन्होने सरकार को आय का मोह छोडकर तंबाकू जनित उत्पादों पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए। मुंह के कैंसर के मरीजों की सर्जरी में विशेषज्ञ डा. यूएस पाल ने बताया कि तम्बाकू व गुटखा का सेवन करने वालों कम उम्र के अलावा महिलाओं में भी इसकी सेवन प्रवृत्ति बढ़ी है। शुरुआती दौर में शौक के लिए शुरू की गयी यह लत आगे चल कर घातक हो जाती है।
शुरुआती दौर में कैंसर के लक्षण दिखने पर ठीक किया जा सकता है। इसके बाद सर्जरी करनी पड़ती है। इससे कैंसर से निजात होने की सम्भावना बन जाती है। डा. मधुमति गोयल ने बताया कि तम्बाकू से सबसे ज्यादा मुंह का कैंसर होता है। इसके खाने से महुं सफेद धब्बे होने लगते हैं और समय पर उपचार नहीं होने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
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