लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बुजुर्ग के पेट से आठ किलो का ट्यूमर निकाल कर नयी जिंदगी देने में सफलता प्राप्त की है। विशेषज्ञ डाक्टरों का कहना है कि इस तरह के बेहद दुर्लभ ट्यूमर गले या सिर में बन जाता है। पेट या लिवर आदि में इस तरह के जटिल ट्यूमर के क्लीनिकल क्षेत्र में अभी तक सिर्फ 30 केस ही पंजीकृत हैं। यह परेशानी जन्मजात समस्याओं के कारण से भी हो सकता है।
गोंडा निवासी बुजुर्ग का पेट काफी दिन से फूलने के साथ हल्का दर्द महसूस होता था। पिछले दो महीने से बुजुर्ग के पेट में असहनीय दर्द हो रहा था। तीमारदारों ने स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराया, तो गैस व हार्ट से जुड़ी परेशानी की संम्भावना व्यक्त की। इसके बाद डॉक्टरों ने पेट में कैंसर होने की आशंका बताते हुए केजीएमयू रेफर कर दिया।
तीमारदार मरीज को लेकर केजीएमयू में गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में डाक्टरों को दिखाया। यहां डॉक्टरों ने सर्जरी की लंबी वेटिंग होने की बात कही। तीमारदारों ने मरीज को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे, तो डॉक्टरों ने सर्जरी पर लगभग चार लाख रुपए का खर्च बताया।
तीमारदारों ने आर्थिक संकट बताते हुए अधिक रकम खर्च करने में असमर्थता जाहिर की। फिर किसी के परामर्श पर तीमारदारों ने मरीज को केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग मेंं दिखा कर भर्ती कराया। यहां डॉ. सौम्या सिंह ने पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी समेत दूसरी जांचे करायी, तो जांच में पता चला कि बुजुर्ग मरीज के को पेट में दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर है। मरीज को सर्जरी की सलाह दी। तीमारदारों के राजी होने के बाद 13 दिसंबर को सर्जरी कर ट्यूमर निकाल दिया।
केजीएमयू में सर्जरी पर लगभग 14 हजार रुपए खर्च हुए। डॉ. सिंह ने बताया कि ट्यूमर का आकार लगातार बढ़ने से दूसरे अंगों पर प्रेशर बढ़ने के कारण आंतें पूरी तरह से दबी हुई थीं। ट्यूमर से कई बार पलटने से आंतों पर प्रेशर और बढ़ गया था। इस कारण मरीज के पेट में तेज दर्द शुरू हुआ। उसमें एक लीटर ब्लड भी भर गया था। इसके मरीज के शरीर में हीमोग्लोबिन छह ग्राम ही पहुंच गया था। सर्जरी के दौरान मरीज को कई यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ा था। हालांकि सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी थी।