राजभवन से जांच के आदेश के बाद गठित हुई कमेटी
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डाक्टर एक बार फिर विवादों में आ गये है। विभाग के जूनियर रेजीडेंट ने वरिष्ठ डाक्टर के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न की राजभवन में शिकायत दर्ज करायी है। जूनियर रेजीडेंट का आरोप है वह पिछले ढाई वर्षो से उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहे है।
राजभवन से पत्र केजीएमयू कुलपति को भेजकर जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए जांच कमेटी तो बना दी गयी है,लेकिन वहीं जांच कमेटी अभी तक प्रकरण को दबा कर शांत बैठी हैं।
बताया जाता है कि राज भवन भेजे गये शिकायती पत्र में केजीएमयू फिजियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डाक्टर पर जूनियर रेजीडेंट तीन ने गंभीर आरोप लगाये हैं। आरोप है कि वरिष्ठ डाक्टर लगातार रेजीडेंट डॉक्टर को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है। आरोप है विभाग में पचास से अधिक रेजीडेंट डाक्टर होने बाद भी इसमें आधे रेजीडेंट से शैक्षणिक काम लिया जाता है, अन्य रेजीडेंट के पास कोई भी कार्य ही नहीं है। आरोप लगाया बीते ढाई साल में यूजी-पीजी लैब में डाक्टर ने किसी स्तर की क्लास तक नहीं ली है। छात्रों को आगामी परीक्षा में फेल किए जाने धमकी भी डाक्टर के माध्यम से दी जाती है।
रेजीडेंट डॉक्टर की शिकायत पर राजभवन से कुलपति को पत्र भेजा गया था। शिकायतों की जांच माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो. अमिता जैन को सौंपी गयी है। प्रो. अमिता जैन का कहना है प्रकरण की जांच हो रही है। फिलहाल अभी इस प्रकरण पर कुछ न कहा नहीं जा सकता।
बताते चले कि केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के इन वरिष्ठ डाक्टर के खिलाफ वर्ष 2011 में महिला जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि वह रात में अपने पति संग परिसर
में कार चलाना सीख रही थी तभी डाक्टर ने उसे घेर लिया था। जान से मारने की धमकी दिया था।
पुलिस ने शिकातय को दर्ज किया था, मगर बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। यही नहीं केजीएमयू कार्यपरिषद ने डाक्टर को किसी भी प्रशासनिक पद पर तैनाती न दिए जाने की संस्तुति दी थी। केजीएमयू प्रशासन ने कार्यपरिषद की संस्तुति को अवहेलना करके फैकल्टी को लीगल सेल का प्रभारी बनाया है। इसे लेकर कार्यपरिषद सदस्यों ने आपत्ति भी दर्ज करायी है।