लखनऊ। नोट बंदी से केजीएमयू के मरीज भी इलाज के लिए परेशान हो रहे है। दवाओं से लेकर सर्जिकल सामान बाहर से लाने के कारण कुछ ही घंटे में नये नोट की कमी से इलाज रूक जाता है। ऐसे में काफी मरीजों के इलाज में व अन्य कार्यो में रेजीडेंट डाक्टर मदद कर रहे है। कुछ ऐसा ही वाकया आर्थोपैडिक विभाग में मरीज के साथ घटा। अस्सी रुपये की कमी होने पर मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा था, जिससे वह निराश था। पर केजीएमयू के रेजीडेंट डाक्टरों ने उसकी मदद करके मरीज को भर्ती करा दिया। दवाओं व सर्जिकल सामान की कमी पर परेशान रेजीडेंट डाक्टर चंदा लगाकर मरीजों की मदद कर रहे है।
भर्ती व पंजीकरण शुल्क जमा करा दे –
बताया जाता है कि पैर की हड्डी टूटी होने पर गोंडा से रेफर मरीज को परिजन केजीएमयू के आर्थोपैडिक विभाग में भर्ती काान के लिए लेकर आये। यहां पर तत्काल उसके पैर का एक्सरे करा लिया गया अौर इलाज में प्रयोग होने वाला अन्य सामान मंगा लिया गया। इसके बाद इलाज को आगे बढ़ाने के लिए परिजनों से भर्ती शुल्क की रसीद दिखाने के लिए कहा गया। उनसे कहा गया कि भर्ती व पंजीकरण शुल्क जमा करा दे। परेशान परिजन 320 रुपये लेकर शुल्क जमा करने गये तो वहां पर कुल चार सौ रुपये की मांग की गयी। परेशान हैरान वह लोग एटीएम पर गये तो वहां नोट न होने पर वह बंद था। कई एटीएम को तलाश कर लिया गया लेकिन निराशा ही मिली।
नोटबंदी के कारण चेंज व नये नोट की कमी के कारण दिक्कतें आ रही है –
परिजनों ने शेष शुल्क जमा कराने का वादा किया, फिर भी उसे भर्ती नहीं किया गया। मरीज को परेशान देखकर रेजीडेंट डाक्टरों ने कम पड़ रहे अस्सी रुपये की मदद कर शुल्क को जमा करा दिया। इसके बाद उसे भर्ती किया जा सका। उधर रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन का दावा है कि दवाओं की कमी से मरीजों के बेहतर इलाज देने के लिए आपस में चंदा लगाकर कुछ दवाएं व सर्जिकल सामान मंगा लिया जाता है। उनका कहना है कि नोटबंदी के कारण चेंज व नये नोट की कमी के कारण दिक्कतें आ रही है। फिर भी रेजीडेंट मरीजों के इलाज में कोई कोताही नहीं बरत रहे है। रेजीडेंट डाक्टरों का आरोप है कि ट्रामा सेंटर से लेकर महत्वपूर्ण स्थानों पर ज्यादातर उपकरण खराब है। इसके कारण मरीज का इलाज नही हो पा रहा है। कई बार शिकायत की गयी लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है।