लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सेंट्रल पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीपीएमएस) प्रोजेक्ट से जुड़ी कई अहम फाइलें गायब हो गई हैं। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि फाइलों की तलाश जारी है। प्रोजेक्ट के भुगतान में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर जांच में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एक डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगे, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त किया गया था।
केजीएमयू में मरीजों को ऑनलाइन ओपीडी पर्चा, जांच रिपोर्ट, मरीजों की भर्ती, डिस्चार्ज समेत अन्य सुविधाओं को ऑनलाइन करने की योजना वर्ष 2009 से बनी। इसके लिए साफ्टवेयर बना आैर वर्ष 2010 में प्रोजेक्ट के तहत मरीजों को ऑनलाइन सेवाएं दी जाने लगी थीं। इसके लेकर केजीएमयू ने कई किस्तों में भुगतान किया। फिर सीपीएमएस प्रोजेक्ट विवादों में आ गया, तो मामले की जांच शुरू हुई। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एक डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया गया। फिलहाल अभी मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
जनवरी वर्ष 2022 को सूचना अधिकार के तहत एक डॉक्टर ने सीपीएसएस के भुगतान के अनुमोदन व खर्च संबंधी जानकारी केजीएमयू प्रशासन से मांगा। कुछ समय बाद जवाब में केजीएमयू प्रशासन ने पत्रावलियां खोजने की सूचना दी। इसके बाद मामला राज्य सूचना आयोग के पास पहुंच गया। आयोग ने इस पर नाराजगी जतायी , तो 16 नवम्बर 2022 को केजीएमयू प्रशासन ने शपथ पत्र सौंपा, जिसमें पत्रवलियां अप्राप्त होने की जानकारी दी गई। बताया गया है कि वर्ष 2018 से सीपीएमएस भुगतान से जुड़ी कई सरकारी पत्रवलियों का पता नहीं चल पा रहा है, जिनकी तलाश जारी है।