KGMU ;वर्ष 1911 से 30,000 मेडिकोज को बनाया डाक्टर : कुलपति

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NEWS- Kgmu दीक्षांत समारोह में कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी द्वारा स्वागत सम्बोधन प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर कुलपति ने विगत एक वर्ष में चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों बताते हुए कहा कि एमबीबीएस छात्रों के पहले बैच ने अक्टूबर 1911 में 31 छात्रों के साथ किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में प्रवेश किया। तब से, केजीएमयू ने 30,000 से अधिक पूर्व छात्रों को डाक्टर बनाने का कार्य किया जो इस कॉलेज के गौरव हैं और भारत और दुनिया भर में चिकित्सा पेशे की सेवा कर रहे हैं। गांधी मेमोरियल एवं सम्बद्ध अस्पतालों में किसी भी समय भर्ती किए गए (ऑन-बेड) समान संख्या वाले रोगियों के साथ 4000 से अधिक कार्यात्मक बेड हैं, और पूर्व कोविड समय में ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 9000-10000 नए रोगियों को चिकित्सीय सुविधा प्रदान की गई। इसके साथ ही चिकित्सा विश्य्वविद्यालय द्वारा सभी ओपीडी को पुनः संचालित कर दिया हैं।
उन्होंने बताया कि यह समारोह 601 एमबीबीएस स्नातकों, 51 बीडीएस स्नातकों, 229 बीएससी नर्सिंग स्नातकों, 59 पोस्ट बेसिक नर्सिंग, 188 एमडीऋएमएस एमडीएस एमसीएच, डिप्लोमा पोस्ट ग्रेजुएट, 6 पीएचडी,एमफिल, 41 एमएससी एनएसजी और तीन बीएससी रेडियोथेरेपी प्रौद्योगिकी केजीएमयू और इसके 16 संबद्ध मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को इस वर्तमान शैक्षणिक वर्ष की शैक्षणिक सफलता और उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया गया है। कुलपति ने बताया कि चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क के माध्यम से मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अखिल भारतीय रैंकिंग की घोषणा के माध्यम से आई, जिसमें केजीएमयू शीर्ष चिकित्सा संस्थानों में 10 वें और देश के सभी भाग लेने वाले विश्वविद्यालयों और संस्थानों में 50 वें स्थान पर रहा। लेकिन अभी हाल ही में, विश्वविद्यालय को मेडिकल के लिए 6वाँ सर्वश्रेष्ठ और चिकित्सकीय शिक्षा के लिए दूसरा स्थान सर्वश्रेष्ठ भारत और आउटलुक वीक मैगजीन द्वारा वर्ष 2020 के दौरान दिया गया है। कुलपति ने बताया कि वर्ष 2020 में हम कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए उठे और इस विश्वविद्यालय के इतिहास में भी बने रहेंगे। केजीएमयू द्वारा रोगी देखभाल, अनुसंधान और ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता बनाए रखी। कोेविड-19 रोगियों के उपचार, पर्यवेक्षण और प्रबंधन के लिए और संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाते हुए एक कोरोना टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी जिससे रोगी की देखभाल और प्रशासनिक संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकारात्मक कार्य किये जा सकें।

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