Kgmu : कटे हुए पैर के पंजे की सफल प्रत्यारोपण

0
217

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने एक जटिल और चुनौतीपूर्ण पैर प्रत्यारोपण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिससे एक 30 वर्षीय मरीज को नई आशा मिली, जिसका पैर एक दुर्घटना में कट गया था।

Advertisement

बराबंकी निवासी दिलीप कुमार 19 फरवरी 2025 की सुबह लगभग 8:30 बजे अपने ट्रैक्टर से आलू हार्वेस्टर को अलग करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गए। दुर्भाग्यवश, हार्वेस्टर उनके बाएँ पैर के ऊपर से गुजर गया, जिससे उनका पैर पूरी तरह से कटकर अलग हो गया।

उन्हें तुरंत जिला अस्पताल, बाराबंकी ले जाया गया, जहाँ उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया और उनके कटे हुए पैर को सावधानीपूर्वक साफ करके ठंडे पैक में संरक्षित किया गया। चोट की गंभीरता को देखते हुए, उन्हें तुरंत KGMU ट्रॉमा सेंटर, लखनऊ रेफर किया गया, जहाँ वे सुबह 9:30 बजे पहुँचे। ट्रॉमा सेंटर में प्रारंभिक उपचार और जाँच के बाद, प्लास्टिक सर्जरी टीम को बुलाया गया ।

ताकि पैर को पुनः जोड़ने (Reimplantation) की संभावना पर विचार किया जा सके। मरीज सही समय पर अस्पताल पहुँच गया था और कटे हुए हिस्से को भी सही तरीके से संरक्षित किया गया था, जिससे पुनः प्रत्यारोपण की संभावना बढ़ गई। इसके बाद, मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में स्थानांतरित किया गया, जहाँ इस जटिल माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी को अंजाम दिया गया। इस सर्जरी का नेतृत्व प्रोफेसर बृजेश मिश्रा ने किया।

इस जटिल सर्जरी में शामिल टीम में डॉ. रवि कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर), डॉ. गौतम रेड्डी (असिस्टेंट प्रोफेसर), डॉ. मेहवश खान, डॉ. कर्तिकेय शुक्ला, डॉ. गौरव जैन, डॉ. प्रतिभा राणा, डॉ. अभिनव नकरा और डॉ. राहुल राधाकृष्णन (सीनियर रेजिडेंट) शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. तन्वी (कंसल्टेंट) ने किया, जिनके साथ डॉ. अनी (सीनियर रेजिडेंट), डॉ. शिखा और डॉ. कंचन (जूनियर रेजिडेंट) भी मौजूद रहीं।

सात घंटे तक चली इस जटिल सर्जरी में माइक्रोवैस्कुलर मरम्मत, हड्डी को स्थिर करना और सॉफ्ट टिशू पुनर्निर्माण जैसी प्रक्रियाएँ शामिल थीं, ताकि रक्त संचार और पैर की कार्यक्षमता को बहाल किया जा सके। यह सर्जरी बिना किसी जटिलता के सफलतापूर्वक पूरी हुई।

अब, सर्जरी के 5 दिन बाद, मरीज के पैर में रक्त संचार सामान्य हो गया है और उनकी स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। हालाँकि, चोट की गंभीरता को देखते हुए, पूर्ण रूप से चलने में 2 से 3 महीने का समय लग सकता है, और उन्हें लगातार फिजियोथेरेपी की आवश्यकता होगी।

कुलपति केजीएमयू प्रो सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह उल्लेखनीय उपलब्धि KGMU के प्लास्टिक सर्जरी विभाग की जटिल अंग प्रत्यारोपण सर्जरी में विशेषज्ञता और समर्पण को दर्शाती है। माइक्रोसर्जरी के क्षेत्र में इस तरह की प्रगति KGMU की सर्वोत्तम ट्रॉमा केयर और पुनर्निर्माण सर्जरी प्रदान करने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है, जिससे ज़रूरतमंद मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ मिल सकें।

Previous articleआउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने वेतन बढ़ोत्तरी की मांग को सांसद को दिया ज्ञापन
Next articleहार्ट अटैक से पहले यह जांच जरूरी, बचाव संभव है …

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here