लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जनरल सर्जरी विभाग में अब थायराइड सर्जरी बिना गले में चीरा लगाए भी हो किया जा सकेगा। लैप्रोस्कोप (दूरबीन) तकनीक से सर्जरी की जा सकेगी। कांख से लैप्रोस्कोप सर्जरी से गले में बन रही थायराइड की बीमारी को हटाया जा सकेगा। यह जानकारी केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. अवनीश कुमार ने दी।
वह सोमवार को जनरल सर्जरी विभाग में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। डॉ. अवनीश कुमार ने बताया कि अभी तक गले में चीरा लगाकर ही थायराइड की सर्जरी की जाती रही है। गले में चीरे का निशान पड़ने के कारण से कुवांरी व शादी शुदा महिलाएं सर्जरी करने से कतराती थी। उन्होंने बताया कि समय पर सर्जरी न होने से बीमारी गंभीर हो जाती है।
डॉ. कुशाग्र ने बताया कि दूरबीन विधि से थायराइड सर्जरी आसान हो गयी है। अब तक विभाग में नौ मरीजों के ऑपरेशन किए गए हैं। सभी ऑपरेशन सफल रहे हैं। उन्होंने बताया कि थायराइड में तीन से चार सेंटीमीटर की गांठ आदि का ऑपरेशन दूरबीन विधि से संभव है।
अस्पताल से जल्द छुट्टी हो जाती है। गले में किसी भी प्रकार का निशान भी नहीं बनता है। उन्होंने बताया कि थायराइड की कमी से घेंघा पनपता है।
डॉ. कुशाग्र ने बताया कि 24 फरवरी को जनरल सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस समारोह अटल बिहारी वाजपेई सांइटिफिक कन्वेंशन सेंटर में मनाया जाएगा। विभाग प्रमुख डॉ. अभिनव अरूण सोनकर ने बताया कि चार दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद करेंगी। कार्यशाला में बीएचयू में सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के संस्थापक डॉ. हरि शंकर शुक्ला, अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. संजीव मिश्र, डॉ. सुनील कुमार शर्मा समेत अन्य डॉक्टर हिस्सा लेंगे।