लखनऊ। नेशनल हेल्थ मिशन में भर्तियों में घोटाले का खुलासा होने के बाद होने के बाद किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में भी नर्सिंग में हुई भर्ती घोटाले की जांच कराने की मांग की सुगबुगाहट होने लगी है। केजीएमयू में लगभग एक वर्ष पहले नर्सिंग के 349 पदों की भर्ती पर बिना शासन की अनुमति भरने की कोशिश की गयी थी। लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार से ठीक पहले इस निरस्त कर दिया गया। इसमें लाखों रुपये की हेरफेर कर दी गयी थी।
केजीएमयू में भर्तियों के लिए शासन से अनुमति लेनी होती है, पर केजीएमयू प्रशासन ने 349 पदों पर नर्सिंग की भर्ती के लिए शासन कोई अनुमति नही ली आैर जल्दबाजी में भर्ती शुरू कर दी गयी। हजारों की संख्या में आवेदन आने पर तत्क ालीन कुलपति प्रो. रविकांत व कार्यवाहक कुलसचिव डा. शैलेद्र यादव ने जल्द बाजी में 18 परीक्षा के द्र भी बना दिये। शहर भर में बनाये परीक्षा केन्द्रों में परीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका आई टी सेल के प्रभारी डा. आशीष बाखलू की थी। इन लोगों की कोशिश थी कि जल्दी से लिखित परीक्षा कराने के बाद साक्षात्कार भी ले लिया जाए। बताया जाता है कि नर्सिंग पदों में भर्ती को लेकर अपनो की भर्ती कराने के नाम पर लाखों रुपये भर्ती के नाम पर ले लिए। अगर सूत्रो की माने तो लिखित परीक्षा का रिजल्ट भी जल्दी घोषित करके साक्षात्कार लिया जाना भी तय कर लिया गया। लिखित परीक्षा में पास होने के बाद अभ्यर्थियों को यह बताना था कि उनकी भर्ती के लिए काम लगातार किया जा रहा है। इतना सब होने के बाद भी केजीएमयू प्रशासन ने शासन की पदों पर भर्ती करने की अनुमति नहीं ली थी। उल्टे भर्ती के नाम पर लाखों रुपये आर- पार हो गये थे। अगर सूत्रों की माने तो कापी जांचने में आई टी की भूमिका महत्वपूर्ण थी। इस अवकाश पर गये कुल सचिव उमेश मिश्र वापस आ गये आैर भर्ती निरस्त कर दी। उस वक्त अभिभावकों व अभ्यर्थियों की शिकायत जांच कराने कर कवायद की गयी थी लेकिन वक्त के साथ यह भी गर्द में जमीदोंज हो गये। अभ्यर्थियों ने भर्ती के नाम पर लाखों रुपये शुल्क वापस करने की मांग भी की थी, लेकिन वह भी नजर अंदाज कर दिया।