– पदकों की सूची में लड़कियां आगे
लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) का 18वां दीक्षांत समारोह 23 दिसंबर को होगा। इसमें 41 मेधावियों को स्वर्ण,रजत और कांस्य पदक से नवाजा जायेगा। दीक्षांत समारोह पर मिलने वाले पदकों पर 23 छात्राओं और 18 छात्राें ने कब्जा किया है। इस बार पदकों की दौड़ में छात्राओं ने बाजी मारी है। इस बार केजीएमयू के सबसे प्रतिष्ठित चांसलर,हीवेट और यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल पर (एमबीबीएस की छात्रा) डॉ.महविश ने कब्जा जमाया है।
यह जानकारी मंगलवार को केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ.बिपिन पुरी ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी है। उन्होंने बताया कि दीक्षांत समारोह केजीएमयू स्थित अटल बिहारी वाजपेई सांइटिफिक कंवेशन सेंटर में होगा। कुलपति डॉ.बिपिन पुरी ने बताया कि केजीएमयू के सबसे प्रतिष्ठित चांसलर,हीवेट और यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल पर (एमबीबीएस की छात्रा) डॉ.महविश ने कब्जा जमाया है। समारोह में सबसे ज्यादा डॉ.महविश को 13 स्वर्ण पदक मिलेंगे। इसके अलावा दो रजत पदक और दो पुस्तक पुरस्कार भी डॉ.महविश के नाम दर्ज हुआ है। वहीं डॉ.दीपक बंसल को 6 स्वर्ण पदक और एक रजत पदक मिलेगा,साथ ही एक प्रशस्ती पत्र भी दिया जायेगा। डॉ. अदिति चंद्रा को एक गोल्ड मेडल मिलेगा।
कुलपति डॉ.बिपिन पुरी ने बताया कि बीडीएस कर चुकी डॉ.गुंजन मेहता को 8 गोल्ड मेडल मिलेगा। इसके अलावा डॉ.नेहा रानी को दो गोल्ड मेडल और चार सिल्वर मेडल दिया जायेगा। डॉ.नेहा रानी को बेस्ट इंटर्न गोल्ड मेडल भी मिलेगा। वहीं बेस्ट फैकेल्टी का गोल्ड मेडल डॉ.एसके.दास को मिलेगा। बताया जा रहा है कि दीक्षांत समारोह में पीजी टॉपर को गोल्ड मेडल दिया जायेगा। इसमें 38 चिकित्सक शामिल हैं।
कुलपति ने बताया है कि दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी। इसके अलावा स्थापना दिवस 24 दिसंबर को मनाया जायेगा।
डायग्नोस्टिक क्षेत्र में काम करने का विचार
चांसलर,हीवेट और यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाली डॉ.महविश ने कहा कि सेल्फ स्टडी करने से अच्छे परिणाम आते हैं और यह उसी का नतीजा है। मेरे पिता डॉ. अबसार अहमद और भाई डॉ. हुमैद अहमद चिकित्सक हैं। उन्हीं की प्रेरणा से इस मुकाम पर पहुंची हूं। आगे डायग्नोस्टिक क्षेत्र में जाकर काम करने का विचार है। केजीएमयू के तीन प्रतिष्ठित मेडल पाकर बहुत खुशी हो रही है, आगे भी इसी तरह लगन और मेहनत से कार्य हो सके। इसके लिए प्रयास जारी रहेगा।
दादा का सपना था चिकित्सक बनूं
6 गोल्ड मेडल और एक रजत मेडल अपने नाम दर्ज करा चुके डॉ. दीपक बंसल बताते हैं कि मेडल पाने के पीछे मेरे शिक्षक सर्जरी विभाग के प्रो.अभिनव अरुण सोनकर और प्रो.एचएस पहवा का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि घर में वह पहले चिकित्सक हैं। मेरे चिकित्सक बनने का सपना दादा ने देखा था। उनके दादा इस दुनिया में नहीं हैं। उनके सपने को पूरा करने के लिए उन्हीं के मार्गदर्शन पर चला और यह कामयाबी हासिल की।
आठ स्वर्ण पदक पाने वाली डॉ.गुंजन मेहता पर । कामयाबी के शिखर पर पहुंचने वाली गुंजन मेहता ने बताया कि जीवन में वह कुछ विशेष करना चाहती हैं। इसी के चलते उन्होंने दिन रात पढ़ाई की और अपना मुकाम हासिल किया।
लोगों को बेहतर इलाज मिले
दो स्वर्ण और चार रजत पदक अपने नाम करने वाली डॉ.नेहा रानी ने कहा कि बचपन में जब यह तय भी नहीं था कि क्या कॅरियर होगा और आगे क्या करना है। घर के लोग या पड़ोस के रहने वाले पूछते की बड़े होकर क्या बनना चाहती हो तो मैं सबसे यहीं कहती थी कि मैं चिकित्सक बनना चाहती हूं। वह बात आज सच साबित हो गई। आज भी समाज में ऐसे लोग हैं जिन्हें अच्छा इलाज नहीं मिलता हैं,उनकों बेहतर इलाज मिले । इसी पर काम करना है।