लखनऊ । अगर लगातार खर्राटा बढ़ते जा रहे है आैर स्लीपएप्मिया की जांच भी गड़बड़ निकलती है, तो खर्राटा का इलाज शुरू कर दें। अगर खर्राटा नहीं थमे तो ब्लड प्रेशर व हार्ट अटैक की शिकायत हो सकती है। यह जानकारी स्टेमी इंडिया के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में आयोजक सचिव व कार्डियक विशेषज्ञ डा. ऋषि शेट्टी ने दी। अधिवेशन में यह भी निर्णय लिया गया कि तमिलनाडु की तर्ज पर हार्टअटैक का प्रोजेक्ट में शुरू करने की कवायद शुरु हो गयी है। यह प्रोजेक्ट शुरू करने वाला उत्तर प्रदेश उत्तर भारत का पहला राज्य होगा।
डा. शेट्टी ने बताया कि केजीएमयू की लॉरी कार्डियोलॉजी में दो चरणों में रिसर्च किया गया कि खर्राटा का कार्डियक की बीमारियों पर क्या असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि इसके तहत पहले चरण में दो सौ मरीजों को शामिल किया गया, यह सभी 25 से65 वर्ष तक की उम्र थे। इनमें साठ मरीज ऐसे भी थे जो कि खर्राटा की परेशानी से जूझ रहे थे। इन मरीजों को जो दवा दी गयी, तो दवा उन्हें कम असर कर रही थी। इसके बावजूद खर्राटा लेने वाले मरीजों की जब एंजियोग्राफी की गयी तो उनके हार्ट की गंभीर बीमारी का पता चला, जब कि जिन्हें खर्राटा नहीं के बराबर आ रहे थे, उन्हें हार्ट की बीमारी का खतरा भी कम पाया गया।
इसके बाद एक आैर शोध किया गया, जिसमें खर्राटा लेने वाले मरीजों को स्लीप एप्मिया की जांच करायी गयी। जांच में यह देखा गयो कि अगर रिपोर्ट गड़बड़ आती है, उन्हें हार्ट की बीमारी में ब्लड प्रेशर के अलावा अन्य जटिल बीमारी होने की लक्षण पाये गये। जिनकी जांच रिपोर्ट गड़बड़ नहीं थी कि उन्हें ब्लड प्रेशर भी नहीं था आैर अन्य हार्ट की बीमारी भी कम होने की उम्मीद थी। इसके साथ ही अगर स्लीप एप्मिया के रिपोर्ट के बाद अगर खर्राटा का इलाज कराना चाहिए। डा. अक्षय प्रधान ने बताया कि डायबटीज के मरीजों को, जिनमें ब्लड प्रेशर की शिकायत बनी रहती है। उन्हें शुगर को नियंत्रित रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि रक्तवाहिकाओं में फैट जमने लगता है। इसके कारण रक्त का बहाव प्रभावित होता है आैर यह हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। स्टेमी के तमिलनाडु में चल रहे प्रोजेक्ट को गंभीरता पूर्वक यूपी में लागू करने पर चर्चा की गयी।
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