खांसते, छीकते वक्त मुंह पर हाथ ना रखेंः डा.बीपी सिंह

0
932

लखनऊ । मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में स्वाइन फ्लू पर आज कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में बोलते हुए प्रसिद्ध चेस्ट रोग फिजीशियन डॉक्टर बी पी सिंह ने स्वाइन फ्लू के कारण, लक्षण, बचाव तथा चिकित्सा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वाइन फ्लू के उपचार से ज्यादा बेहतर इससे बचाव करना है। उन्होंने बताया कि खांसते और छींकते वक्त मुंह पर हाथ नहीं रखना चाहिए, बल्कि अपनी कोहनी से मुंह को ढकना चाहिए ।इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि मुंह पर हाथ रखने के बाद सारे वायरस हमारे हाथ में इकट्ठा हो जाते हैं और जब हम किसी से हाथ मिलाते हैं या किसी वस्तु को छूते हैं तो वह सारे वायरस वहां स्थानांतरित हो जाते हैं। इसके स्थान पर मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए और अगर कपड़ा ना मिले तो कोनी से मुंह को ढक लेना चाहिए ।

Advertisement

स्वाइन फ्लू के लक्षणों के बारे में उन्होंने बताया कि –

  • यह किसी भी आम फ्लू की तरह होता है जिसमें जुकाम ,खांसी, बुखार ,गले में दर्द उल्टी लगना या उल्टी आना, सर दर्द, बदन दर्द आदि होते हैं।
  • इसका संक्रमण ड्रॉपलेट इनफेक्शन के माध्यम से फैलता है। रोगी के खांसने और छीकने से इसके कीटाणु बाहर वातावरण में आते हैं जो किसी भी वस्तु पर पर 6 से 8 घंटे तक जीवित रहते हैं।
  • स्वस्थ व्यक्ति जब किसी भी कुर्सी दरवाजे या किसी व्यक्ति से हाथ मिलाता है तो यह वायरस उसके हाथ से उसके शरीर में पहुंच जाते हैं। यदि वह अपनी आंखें नाक को छूता है। रोगी औसतन 1 दिन पहले से लेकर 7 दिन तक वायरस वातावरण में फैलाता है।
  • संक्रमित होने के 2 दिन बाद लक्षण प्रकट होते हैं जो कि 1 से 4 दिन तक प्रकट हो सकते।
  • डॉक्टर बी पी सिंह ने बताया कि बच्चों में जिनमें कोई अन्य बीमारी हो, 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में , गर्भवती महिलाओं में तथा गंभीर बीमारियों से ग्रसित रोगियों जैसे फेफड़ों की बीमारी, ह्रदय रोग, मधुमेह रक्त की बीमारियां ,कैंसर ,एचआईवी एड्स ,लिवर की बीमारी मैं यह रोग अधिक घातक होता है ।
  • इस रोग में खतरे के लक्ष्ण सांस लेने में तकलीफ होना ,सीने में दर्द होना, सुस्ती आना, ब्लड प्रेशर का कम होना ,बलगम में खून आना ,नाखून और होठों का नीला होना प्रमुख है ।

इसके बचाव के लिए –

  • बार बार साबुन से हाथ धोते रहें, खासते छींकते वक्त मुंह पर हाथ ना रखें बल्कि कपड़ा रखें अथवा अपनी कोहनी से से ढक लें ।
  • इस सीजन में हाथ मिलाने से बचे ,नमस्कार करें ।
  • बगैर डॉक्टर की सलाह के दवा न लें ।
  • इसकी वैक्सीन उपलब्ध है जो कि हाई रिस्क ग्रुप के व्यक्तियों के ही लगाई जाती है।
  • वैक्सीन का इस्तेमाल 6 माह से कम उम्र के बच्चों में नहीं किया जाता, इसलिए यह आवश्यक है कि गर्भवती महिलाओं को यह वैक्सीन अवश्य लगाई जाए।
  • मास्क के इस्तेमाल के बारे में भी बताया कि ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल ही करना चाहिए।
  • मास्क लगाने के बाद उसका डिस्पोजल भी अत्यंत सावधानी के साथ किया जाना चाहिए ।

कार्यशाला का आरंभ करते हुए उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा नोडल अधिकारी डॉ के पी त्रिपाठी ने बताया कि पिछले 4 वर्षों में 2018 में केसेज की संख्या बहुत कम हुई है ।उन्होंने कहा कि 2015 में 1087, 2016 में 46, 2017 में 2192 केस हुए थे जिसमें 14 मरीजों की मृत्यु हुई थी लेकिन 2018 में इस रोग पर प्रभावी नियंत्रण किया गया जिसके कारण केवल 19 केस सामने आए और एक भी मरीज की मृत्यु नहीं हुई। कार्यशाला में बोलते हुए एसजीपीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डा. प्याली भट्टाचार्य ने कहा इस वायरस को मारने की दवा नहीं बनी है। बच्चे 10 दिन तक इस रोग के कीटाणुओं को फैलाते रहते हैं और जो बच्चे हाय रिस्क ग्रुप में आते हैं वह महीनों तक इस को फैलाते रहते हैं।

6 महीने से कम उम्र के बच्चों को स्वाइन फ्लू से बचाने का एकमात्र उपाय यही है कि गर्भवती महिला को बारिश का मौसम आने से 1 महीने पहले ही वैक्सीन लगा दी जाये। उन्होंने बच्चों को एक नारा भी दिया *कफ एंड स्नीज एल्बो प्लीज* इसका मतलब है कि खांसी या छींक आने पर अपना हाथ मुंह पर नहीं रखना चाहिए बल्कि कोहनी के हिस्से से ढकना चाहिए। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में एवियन इनफ्लुएंजा एक बड़ा खतरा बन सकता है जो पक्षियों से मनुष्य में और फिर मनुष्य से मनुष्य में फैलता है।

वैक्सीन के बारे में उन्होंने बताया कि जो रोगी अथवा रोगियों के संपर्क में आने वाले टेमीफ्लू ले रहे हो ,उन्हें वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए ।एक पत्रकार द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि चिकन पॉक्स के मरीज को भी यह वैक्सीन नहीं देनी चाहिए। ठीक होने के 4 सप्ताह बाद यह वैक्सीन दी जा सकती है। इस कार्यशाला में लखनऊ के प्रसिद्ध पैथोलॉजिस्ट तथा आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ पी के गुप्ता ,डा प्रांजल अग्रवाल डा मनीषा भार्गव उपस्थित थे कार्यक्रम के अंत में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ डीके बाजपेई ने सभी अतिथियों तथा मीडिया से आए हुए बंधुओं का धन्यवाद दिया।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleफार्मासिस्ट भी दवा लिख सकेंगे, पर प्रशिक्षण के बाद : स्वास्थ्य मंत्री
Next articleगजब का जज्बा है 108 एंबुलेंस सेवा में तैनात दिव्यांगों का

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here