लखनऊ। यूरिनरी ब्लैडर के ट्यूमर में रेडियोथेरेपी एवं कीमोथेरेपी के माध्यम से ट्यूमर को छोटा या खत्म किया जा सकता है। इसके बाद सर्जरी करके छोटे से भाग को निकाल दिया जाता है। यह जानकारी टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल के डा. राहुल ने आंकोकॉन कार्यशाला के दूसरे दिन दी। कार्यशाला में अन्य विशेषज्ञों ने विभिन्न प्रकार के कैंसर के इलाज की नयी तकनीक की जानकारी दी।
डा. राहुल ने कहा कि इस तकनीक से ब्लैडर को पूरा नहीं निकालना पड़ता है। इससे मरीज की क्वालिटी आफ लाइफ बढ़ जाती है। कैंसर संस्थान के डा. प्रमोद कुमार ने बताया कि कीमीथेरेपी, रेडियोथेरपी के साथ ही इम्यूनोथेरेपी के द्वारा मेटास्टेटिक प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों की बेहतर इलाज मिल जाता है। राजीव गांधी कैंसर संस्थान के डा. सुधीर ने बताया कि एडंवास स्टेज के यूरिनरी ब्लैडर के कैंसर के मरीजों की सर्जरी में ब्लैडर निकालने के बाद आंतों के अलावा अन्य स्थानों से ऊतको को निकाल का नया ब्लैडर बना दिया जाता है।
कार्यशाला में खास बात यह थी कि प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी में ट्यूमर बोर्ड बनाकर करीब 60 डाक्टरों को आपस में वार्ता करायी गयी। जिसमें आपस में प्रश्न उत्तर किये गये आैर नयी तकनीक से प्रोस्टेट कैंसर के इलाज करने पर परिचर्चा भी गयी। डा. एस एन शंखवार ने बताया कि महिलाओं में ब्लैडर ट्यूमर की सर्जरी के पश्चात पेशाब की थैली के पुननिर्माण तथा नयी तकनीक से सर्जरी करने की जानकारी दी गयी। कार्यशाला में देश विदेश के सर्जन्स ने नये शोध के पत्रों को पढ़ा अौर नयी तकनीक की जानकारी ली।
इसमें शामिल होने के लिए कैंसर सर्वाइवरों को करीब डेढ़ मिनट का खुद का एक वीडियो बनाना होगा। इसमें वे कैंसर से जीतने की अपनी कहानी बतायेंगे और यह दिखायेंगे कि वह आज किस तरह जिंदगी जी रहे हैं। इसके बाद इन वीडियोज को सेल्फवी की वेबसाइट पर अपलोड किया जायेगा।
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