खून की कमी होने पर शुरुआती चरण में गर्भवतियों को चयनित करें 

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Photo Source: American Pregnancy Association

लखनऊ। स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने सोमवार को कई अस्पतालों निरीक्षण करके चिकित्सा व्यवस्थाओं का हाल जाना। वीरांगना अवंतीबाई महिला चिकत्सालय (डफरिन) में पहंुची स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने चिकित्सा व्यवस्था को आैर बेहतर करने के लिए कई निर्देश दिये। एनीमिक (खून की कमी) गर्भवतियों को अगर शुरुआती चरण में चिह्नत कर लिया जाए, तो आगे चलकर इलाज के जरिए गर्भवतियों को बेहतर उपचार मिलेगा।

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एएनएम, अरबन हेल्थ सेन्टर आैर बाल एवं महिला चिकित्सालयों को भी इस काम के लिए जोड़ने की जरूरत हैं। एनीमिक गर्भवतियों की सूची हर माल मुख्य चिकित्साधिकारी को मुहैया करायी जाए तो इस समस्या को दूर करने में काफी सहायता मिलेगी। इसके अलावा नर्माल डिलीवरी के समय एक महिला तीमारदारों को परिजन के साथ रूकने की इजाजत देने की जरूरत है। जिन गर्भवती महिलाओं को कंगारू मदर केयर के लिए अस्पताल में रूकना पड़ता है, उनके भोजन व कुछ अनुदान राशि की व्यवस्था करने की जरूरत है।

टीम के निरीक्षण की जानकारी अस्पताल प्रशासन को पहले से मिल चुकी थी, इसलिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी थीं। संयुक्त सचिव के नेतृत्व में टीम मिशन निदेशक आलोक कुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. जीएस बाजपेयी के साथ पहुंची तो उनको सबसे पहले सम्पूर्णा क्लीनिक की व्यवस्था से रूबरू कराया गया। करीब डेढ़ घण्टे तक चले निरीक्षण के बाद टीम बलरामपुर अस्पताल पहुंची जहां पर एनआरसी वार्ड का जायजा लेनी पहुंची।

दस बिस्तरों के वार्ड में आठ बच्चे एडमिट देखकर टीम के सदस्यों ने काफी प्रसन्ना जाहिर की, लेकिन जब एडमिट बच्चों का रिकार्ड देखा, बच्चों की एडमिट संख्या का आंकड़ों संतोषजनक नहीं था।

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