लखनऊ ( निशा तिवारी ) – स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बाद भी प्रदेश में अभी तक टीबी की सेकेंड स्टेज की बीमारी मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) की खुली दवाओं की पैकेजिंग के लिए स्टेट पैकजिंग प्वाइंट नहीं बन पाया है। क्षय रोग विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण बजट होने के बावजूद एमडीआर मरीजों को खुली दवा वितरण की जा रही है।
दावों के बावजूद एमडीआर की दवा बंट रही है खुली –
स्वास्थ्य मंत्रालय का निर्देश है कि एमडीआर के मरीजों को सभी दवाएं एक बाक्स में पैक करके दी जाए, ताकि दवा का समय पर सेवन कर सके। स्वास्थ्य मंत्रालय 23 लाख 60 हजार रुपये का बजट भी स्वीकृत कर चुका है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में यह बजट आया था। अधिकारियों की लापरवाही के कारण समय पर ध्यान नहीं देने व गाइड लाइन न दिये जाने के कारण बजट लेप्स हो गया। इसके बाद वर्ष 2015-16 में दोबारा बजट को पूल करके दोबारा पैकेजिंग प्वाइंट बनाने के लिए दिया गया। एक वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक दवाओं के लिए बाक्स नही तैयार हो पाया है। मंत्रालय ने इस बजट से स्टेट टीबी आफिसर (एसटीओ)आलोक रंजन को पैकजिंग प्वाइंट बनाने के निर्देश दिये गये।
उन्होंने इस बजट को जिला टीबी आफिसर (डीटीओ) सुशील चतुर्वेदी को भेज दिया आैर जल्द ही एमडीआर पैकजिंग के लिए गाइडलाइन के अनुसार कार्य जल्द कराने के लिए कहा था। बताया जाता है कि बाक्स बनाने के लिए निविदा मंगायी गय। इसके बाद भी अभी तक मैन पावर नहीं मिल पाया है। नादरगंज दवा डिपो में शुरू होने वाला कार्य बंद पड़ा है। इस लापरवाही से अभी भी एमडीआर की दवाएं मरीजों को अलग – अलग दी खुली जाती है, जबकि नियमानुसार पैकजिंग करके दिया जाना चाहिए।
इस बारे में एसटीओ आलोक रंजन का कहना है कि काम तेजी से चल रहा है आैर इसी वित्तीय वर्ष में पैकजिंग काम शुरू होने की उम्मीद है। अगर निविदा में बाक्स बनाने का मामला तय नही हो पाता है तो अन्य स्थानों पर जहां पर बाक्स बनवाया जा रहा है। वहां ठेका दे दिया जाएगा।