कृमि संक्रमण से बचना है, साफ सफाई रखना है

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लखनऊ – राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 29 अगस्त को मनाया जाएगा | इसके बाद 30 अगस्त से 4 सितम्बर तक मॉप अप राउंड होगा, जिसमें उन बच्चों को दवा खिलाई जाएगी जिन्होने किसी कारण से 29 अगस्त को दवा नहीं खाई है | इस कार्यक्रम में 1-19 वर्ष तक के सभी बच्चों को आयु अनुसार दवा दी जाएगी | 1-2 साल की आयु के बच्चों को 200 मिग्रा की खुराक दी जाएगी, 2-3 साल के बच्चों को 400 मिग्रा की पूरी खुराक व 3-19 साल के बच्चों को 400 मिग्रा की एक पूरी गोली चबाकर खानी है व तीन साल से कम उम्र के बच्चों को दवा पीसकर खिलानी है | यह जानकारी आज चिनहट ब्लॉक में खंड शिक्षा अधिकारी नूतन जयसवाल ने शिक्षकों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी | इसमें सभी प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्तर के शिक्षकों ने प्रतिभाग किया|

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नूतन ने बताया कि जो बच्चे बीमार हैं या अन्य कोई दवा ले रहे हैं उन्हें अल्बेण्डाज़ोल दवा नहीं खिलानी है | अगर दवा खिलाने के बाद बच्चे में कोई समस्या होती है तो तुरंत ही चिकित्सीय सहायता के लिए 108 नंबर पर काल करें |
इन्दिरा नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार, ने बताया कि कृमि मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते हैं | 1 से 19 साल के सभी लड़कों व लड़कियों को आंत के कृमि संक्रमण का खतरा रहता है | कृमि मुख्यतः गंदगी के कारण होते हैं | संक्रमित मिट्टी के संपर्क द्वारा कृमियों का संक्रमण होता है | कृमि की संख्या जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति में लक्षण उतने अधिक होंगे | मुख्यतः हुक कृमि, व्हिप कृमि व राउंड कृमि द्वारा संक्रमण होता है |

मनोज कुमार ने बताया कि संक्रमित बच्चे के शौच में कृमि के अंडे होते हैं | खुले में शौच करने से ये अंडे मिट्टी में मिल जाते हैं और विकसित होते हैं | जब अन्य बच्चे नंगे पैर चलने से, गंदे हाथों से खाना खाने से या फिर बिना ढका हुआ भोजन खाना खाने से, लार्वा के संपर्क में आने से संक्रमित हो जाते हैं | संक्रमित बच्चों में कृमि के अंडे व लार्वा रहते हैं और बच्चों के स्वास्थ्य पर हानि पहुंचाते हैं |

मनोज ने बताया कि कृमि पोषक ऊतकों जैसे रक्त से भोजन ले लेते हैं जिससे खून की कमी व कुपोषण हो जाता है | कुपोषण से शारीरिक व विकास व वृद्धि का असर पड़ता है | राउंड कृमि आंत में विटामिन-ए को अवषोसित कर लेते हैं | तीव्र संक्रमण से बच्चे अक्सर बीमार या थके हुये रहते हैं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं | कृमि संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है | जिसके कारण भविष्य में उनकी कार्यक्षमता और औसत आय में कमी आती है | अध्ययन दर्शाते हैं कि स्कूल में कृमि नियंत्रण कार्यक्रम करने से बच्चों की अनुपस्थिति में 25% तक की कमी आती है |

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में सहयोगी संस्था एविडेंस एक्शन के जिला समन्वयक सुधीर ने बताया कि यदि हमें कृमि संक्रमण से बचना है तो हमेशा नाखून साफ व छोटे रखें, घर व उसके आस-पास सफाई रखें, साफ पानी पीएँ, नंगे पैर न घूमें, जूते पहन कर रहें, खाने को ढँक कर रखें, फल और सब्जियों का उपयोग हमेशा धो कर करें, खाना खाने से पहले व शौच जाने के बाद साबुन से हाथ धोएँ और खुले में शौच न जाएँ हमेशा शौचालय का उपयोग करें | सुधीर ने बताया कि कृमि नियंत्रण से खून की कमी में सुधार होता है और पोषण स्तर बेहतर होता है | इसके साथ-साथ आंगनवाड़ी केन्द्रों और स्कूलों में उपस्थिति व सीखने की क्षमता में सुधार लाने में मदद करता है | वयस्क होने पर भविष्य में काम करने की क्षमता और आय बढ़ोत्तरी में मदद करता है |

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