क्रिटकल सर्जरी से 35 किलो का हाइड्रोसील निकाल, रच दिया कीर्तिमान

0
1885

लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने हाइड्रोसील की सर्जरी में नया कीर्तिमान रच दिया है। विभाग प्रो. सुरेश कुमार आैर उनकी टीम ने 35 किलो की अण्डकोष की थैली ( हाइड्रोसील) की सर्जरी की है। मेडिकल रिकार्ड को देखा जाए तो अभी तक 31 किलो का अण्डाकोष की थैली (हाइड्रोसील ) की सर्जरी की गयी है। डाक्टरों का कहना है कि यह वेक्टर बार्न डिजीज है अगर मरीज ने नियमानुसार फाइलेरिया की दवा का सेवा करता करता तो मरीज श्री चंद के लिए मुसीबत न बनती।

Advertisement

बताया जाता है कि बाराबंकी निवासी मरीज श्री चंद कोअण्डकोष में कुछ वर्षो पहले हाइड्रोसील की दिक्कत हुई। उसने स्थानीय डाक्टरों से इलाज कराया लेकिन उसको दिक्कत बढ़ती गयी। उसके अण्डकोष की थैली ( स्क्रोटम) की सूजन बढती ही गयी आैर वह धीरे -धीरे लटकती ही गयी। उसने बाराबंकी में कई स्थानीय डाक्टरों से इलाज कराया, फिर भी इलाज कराया, पर फायदा नहीं हुआ।

आर्थिक हालत सही न होने से इलाज कराने में था, असमर्थ :

आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह बड़े अस्पताल इलाज के लिए नही जा रहा पा रहा था। समस्या ज्यादा होने पर उसने बाराबंकी के जिला अस्पताल में इलाज कराया तो उसे लखनऊ के बड़े अस्पताल भेज दिया गया। वह गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोंिहया अस्पताल पहुंचा तो यहां पर डाक्टरों ने क्रिटकल सर्जरी बता कर केजीएमयू के लिए रेफर कर दिया। यहां पर उसने एक सप्ताह पहले प्रो. सुरेश कुमार की ओपीडी में दिखाया तो प्रो. सुरेश कुमार ने उसकी हालत को देखते हुए जल्द ही आपरेशन करने का निर्णय लिया।

सर्जरी काफी क्रिटकल थी, 35 किलो का हाइड्रोसील अलग किया गया :

गत सोमवार को आपरेशन किया जाना था लेकिन बुधवार को आपरेशन किया गया। प्रो. सुरेश कुमार बताते है कि बुधवार को किया गया आपरेशन सुबह दस बजे शुरु हुआ तो दोपहर तीन बजे के आस-पास समाप्त हो पाया। प्रो. सुरेश ने बताया कि यह काफी जटिल सर्जरी थी। इसमें स्क्रोटो प्लास्टी तकनीक से पहले उसने अण्डकोष की थैली से अनावश्क स्किन के साथ रक्त वाहिकाओं को अलग किया गया। उसके बाद अण्ड कोष बचाते हुए थैली को जोड़ दिया गया। अब मरीज सामान्य स्थिति में है। उन्होंने बताया कि इस सर्जरी में एनेस्थीसिया के डाक्टर प्रेमराज की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनकी टीम में डा. अभिषेक, डा. कार्निक सहित अन्य लोग उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि अगर वह समय पर फाइलेरिया की दवा खा लेता, तो यह दिक्कत नही होती। फाइलेरिया पैर में हो सकता है आैर पुरुषों में अण्डकोष में भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह वेक्टरबार्न डिजीज है।

Previous articleतान्या रस्तोगी ने गर्मी में शादियों के सीजन के लिए तैयार किए खास आभूषण
Next articleचालक ने साथियों के साथ लूटा था क्लीनिक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here