लखनऊ अपनी तहजीब के साथ ही दस्तरख्वान के लिए भी जाना जाता है। यूं तो हैदराबादी बिरयानी की अपनी खूबी है, लेकिन अवधी बिरयानी या लखनऊ की बिरयानी का जायका भी कम नहीं। इसके चाहने वाले देश-विदेश में मौजूद हैं। खाना-पकाने के मामले में लखनऊ हमेशा से ही मशहूर रहा है। लखनऊ आने वाले लोग अगर इसकी इमारतों को देखते हैं तो यहां के लजीज खाने, खास तौर से बिरयानी को खाना नहीं भूलते। नवाबी दौर में भी बिरयानी दस्तरख्वान का खास हिस्सा हुआ करता था। कुछ बावर्ची इस खास डिश को बनाने के लिए ही होते थे। बताते हैं कि पूरा-पूरा दिन लग जाता था बिरयानी की डेग तैयार होने में। एक-एक घंटे तक तो इसे ‘दम’ किया जाता था।
लखनऊ के मीर जाफर अबदुल्लाह बताते हैं कि अवध की बिरयानी में चावल, गोश्त, खुशबूदार शोरबा, खुशबूदार मसाले और मीठे जायके जैसा एक स्वाद होता है। गोश्त और चावल दोनों को अलग-अलग पकाना फिर दोनों को एक साथ मिलाकर धीमी आंच में दम लगाना इसको और भी लजीज बनाता है। यह मुख्य रूप से तीन चरणों का है। सबसे पहले, गोश्त को घी में भूना जाता है। उसके बाद खुशबूदार मसाले के साथ पकाया जाता है। इसको भून कर गोश्त की अखनी तैयार कर ली जाती है।
बिरयानी शब्द फारसी के बिरया से बना है। इसका अर्थ है भुना-तला हुआ। बिरयानी के कई प्रकार होते हैं। अवधी बिरयानी, हैदराबादी बिरयानी, बुहारी यानी बद्रासी बिरयानी, थलप्पा बिरयानी, बांबे बिरयानी, मेमनी बिरयानी, आंध्रा बिरयानी, कोझिकोड बिरयानी, ईरानियन बिरयानी, नाूसी बिरयानी आदि। यह सभी बिरयानी अपने मसालों और पकाने के अंदाज से अलग-अलग जायका देती हैं। इसके अलावा वेज बिरयानी भी बनाई जाती है।
अलग तरह से बनती है हैदराबादी बिरयानी –
इसे कच्ची बिरयानी भी कहा जाता है। इस बिरयानी में गोश्त को पहले भूना नहीं जाता, गोश्त को चावल के साथ ही पकाते हैं। गोश्त और चावल में खटाई डाली जाती है। चावल मसालेदार दही के साथ मिलाया जाता है। ‘चावल और दही का मिश्रण’ गोश्त के साथ ही डाल दिया जाता है। इसके बाद इसे कम आंच पर पकाया जाता है। गोश्त और चावल दम लगाकर तैयार किया जाता है। इस तरह से बनी बिरायानी अवधी बिरयानी से बहुत अलग है। हैदराबादी बिरयानी बनाने में आसान लगती है, लेकिन अनुभव की बहुत जरूरत होती है। हैदराबादी बिरयानी अब इंटरनेट के जरिये कहीं भी मंगाई जा सकती है। फ्रोजेन बिरयानी को कायदे से पैक करके दो दिन के भीतर आप तक पहुंचा दिया जाता है।
पैनासॉनिक ने बनाया खास कुकर
पैनासॉनिक कंपनी ने अवधी बिरयानी के लिए खास कुकर बनाया है। यह कुकर खास तरह से डिजाइन किया गया है, जिसकी वजह से इसमें बिरयानी को ‘दम’ देने की भी व्यवस्था है। कंपनी का दावा है कि इस कुकर को बनाने से पहले काफी रिसर्च की गई। इसकी कीमत लगभग 5395 रुपये है।
शहर की दुकानों में लगती है भीड़ –
राजधानी में बिरयानी के शौकीनों की कमी नहीं है। यहां की कुछ दुकानों पर भीड़ लगी रहती है, जिसमें चौक पाटानाला स्थित इदरीस की बिरयानी के लोग दीवाने हैं। इस बिरयानी को आज भी पत्थर के कोयले पर पकाते हैं। बिरयानी के शौकीनों के लिए यह खास अXा है। इसके अलावा वाहिद की लजीज बिरयानी भी काफी पसंद की जाती है। टुंडे कबाबी की बिरयानी में भी लोग उंगलियां चाटकर खाते हैं। हजरतगंज में दस्तरख्वान होटल में तो लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। बिरयानी के शौकीन इतने हैं कि पुराने लखनऊ में शाम के वक्त इसकी खुशबू रची-बसी रहती है।
बॉलीवुड तक जा पहुंची बिरयानी की खुशबू –
बॉलीवुड भी अवधी बिरयानी की महक से अछूता नहीं है। कई फिल्मों में लखनऊ के जायके का जिक्र हुआ है। साल 2०14 में भी परिणीता चोपड़ा और आदित्य राय कपूर अभिनीत फिल्म ‘दावते इश्क’ में लखनऊ के जायके को दर्शाया गया है। फिल्म में आदित्य राय कपूर लखनऊ के बावर्ची ‘तारिक’ की भूमिका में हैं, जिसका नॉनवेज रेस्टोरेंट है। वह परिणीता को लखनऊ के जायके के जरिये ही रिझाने की कोशिश करते हैं। फिल्म का एक गीत ‘दिल ने दस्तरखान बिछाया दावते इश्क है’ भी अवध के जायके को दर्शाता है।
फास्ट फूड है बिरयानी –
बिरयानी दरअसल फास्ट फूड है। जानकार बताते हैं कि यह रूस के मुस्लिम क्षेत्रों के सैनिकों के कारण वजूद में आई। दरअसल सालन, रोटी और फिर चावल बनाना काफी मेहनत और समय मांगते हैं। जबकि बिरयानी फटाफट तैयार हो जाती थी। बस चावल में गोश्त और मसाले मिलाने होते थे। समझा जाता है कि वहीं से यह बिरयानी तमाम जगह पर फैली और फिर क्षेत्र के हिसाब से उसके अलग-अलग स्वाद डेवलप होते चले गए।
[highlight bgcolor=”#dcf0f2″]मैं कानपुर से अपने दोस्तों के साथ यहां आया हूं। यहां की बिरयानी बहुत ही शानदार और लजीज होती है। वाहिद की बिरयानी खाकर मजा आ गया। मैं जब भी यहां आता हूं, तो कभी चौक में या टुंडे कबाबी की दुकान पर बिरयानी जरूर खाता हूं।
– मो. अजहर[/highlight]
[highlight bgcolor=”#dcf0f2″]मैं मुरादाबाद से यहां आया हूं। यहां का खाना काफी अच्छा है। खासकर बिरयानी तो लाजवाब है। मुरादाबाद की बिरयानी भी अच्छी है। वहां के जायके और यहां के जायके में
फर्क है। – मो. आफताब[/highlight]