क्या आप अपने स्वास्थ्य को लेकर फिक्रमंद हैं ?

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जब भी हम भविष्य के बारे में सोचते हैं, तब ज्यादातर हमारी कल्पना में हमारा नाम-दाम, निवास रहन सहन आदि चीज ही होती है. जबकि भविष्य के बारे में सोचते समय जो चीज सबसे पहले सोचनी चाहिए वह है स्वास्थ्य।

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भविष्य में स्वास्थय कैसा रहेगा ? उम्र के साथ उसमें क्या क्या उतार चढ़ाव आएंगे ? भविष्य में स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहिए?

यहाँ पाँच ऐसे कदम दिए गए हैं जो आपका भविष्य निरोगी बना सकते हैं –

1- तनाव से यूँ मुक्ति पाएं –

तनाव को आज की आधुनिक जीवन पद्धति की एक आवश्यक बुराई कहना चाहिए। इससे बचना असंभव ही है। लेकिन लगातार तनाव में रहना स्वास्थय के लिए घातक है। इससे हमें ब्लड प्रेशर व हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए –

  • अपने बारे में गंभीरता से सोंचें और वही करें, जो आप चाहते हैं। अगर आप शांति से अकेले रहना चाहते हैं तो रहें। अगर आपको लगता है की विभिन्न आयोजनों, जैसे पार्टी आदि की गहमगहम में रहना चाहिए, तो उनमें ही रूचि लें। खुद पार्टियों का आयोजन करें, पार्टियों में जाएँ या फिर ऐसे क्लब ज्वाइन कर लें जो सामूहिक रूप से आयोजन करते हों। कुल मिलाकर आपको जिन कामों में जीवन में प्रसन्नता मिलती हो वही करें।
  • तनाव में तत्काल मुक्ति के लिए माथे की मालिश करें। इसके लिए माथे के बीच से कनपटियों की और उँगलियों की पोरों से हलकी मालिश करें। एक मिनट बाद कनपटियों को हलके से करीब एक मिनट तक दबाएं।

2. हड्डियों की मजबूती पर ध्यान दें –

बुढापे में होने वाली हड्डियों की कमजोरी व क्षरण को रोकने का एक मात्रा उपाय है डाइट व एक्सरसाइज। इन्हें जरूर अपनाएं।

  • नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें। हड्डियों पर हल्का दबाव डालने वाले व्यायामों से हड्डियों की सघनता बढ़ती है और वे मजबूत होती हैं। इसके लिए वेट लिफ्टिंग, रस्सीकूद, एरोबिक्स आदि हफ्ते में तीन से पाँच बार करें।
  • कैल्शियम व मैग्नीशियम युक्त चीजें ज्यादा सेवन करें। गहरे रंग की पट्टीदार सब्जियां व फूलगोभी में कैल्शियम अधिक होने के साथ ही शरीर में जल्दी घुल जाता है। कैफीन व नमक का सेवन कम करें।

3. नींद को नज़रअंदाज न करें –

रात में आठ घंटों से काम नींद लेने से वृद्धावस्था तेजी से आती है और स्मरण शक्ति पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। अच्छी नींद के कुछ अच्छे तरीके यहाँ पेश हैं –

  • सोने और उठने का समय तय कर ले। सोने से पहले कुछ पढ़ने या नहाने की आदत डालें। पानी में लैवेंडर का तेल दाल कर नहाने से नींद अच्छी आती है।
  • सोने से एकदम पहले पेट भरकर न खाएं और न ज्यादा ड्रिंक लें। साथ ही चाय कॉफ़ी भी न लें। अगर सोते समय कोई चिंता है तो पहले रिलैक्स हो ले फिर सोने जाए।
  • बिस्तर सूखा व साफ़-सुथरा ततः थोड़ा नरम रखें। संभव हो तो ८-१० सालों में गड्ढे आदि बदल दें।

4. सही वातावरण में रहें –

आज हमारे निवास से लेकर भोजन तक सभी पर्यावरण से जुड़े हैं। हर जगह पर्यावरण बिगड़ने की वजह से भोजन में विशैले तत्व बढ़ते जा रहे हैं। जाहिर है इसका स्वास्थय पर बुरा असर पड़ता है। जो आज तो नजर नहीं आता, पर वृद्धावस्था में अपना भरपूर असर दिखता है।

  • आर्गेनिक फ़ूड यानी प्राकृतिक रूप से उपजाए गए अनाज व अन्य खाद्य सामग्री का इस्तेमाल स्वास्थय के लिए लाभदायक होता है, क्योंकि आर्गेनिक फ़ूड में कीटाणु नाशक दवाइयां इस्तेमाल नहीं की जाती।
  • प्लास्टिक में पैक खाद्य सामग्री का इस्तेमाल जहाँ तक हो सके, न करें। प्लास्टिक स्त्रियों के शरीर में स्थित एस्ट्रोजन हार्मोन पर बुरा असर डालता है। हमेशा फ़िल्टर किया हुआ पानी पियें, ताकि कीटाणु व भारी धातु आदि शरीर में न पहुंचे।

5. ह्रदय की सेहत पर गौर करें –

शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग हृदय को स्वस्थ रखें व इसका पूरा बचाव करें। इसके लिए ज्यादा कुछ नहीं करना है, सिर्फ खान पान व जीवन शैली में हल्का सा बदलाव ही काफी है।

  • कच्चा लहसुन चबाकर खाएं या लहसुन के कैप्सूल या मछली के तेल के कैप्सूल लें। इससे हार्ट अटैक का खतरा कम होगा। क्योंकि इससे धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल गल जाता है।
  • सैचुरेटेड फैट्स का सेवन कम करें। इनसे ही कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। साथ ही सफ़ेद चावल व भुने हुए आलू जैसे कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थों के सेवन से बचें।
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