शरीर के किसी हिस्से – मसलन पाँव या हाथ की उँगलियों – की त्वचा जब कहीं पर सख्त हो जाती है तो उसे कैलस कहते हैं। कैलस दरअसल तब विकसित होता है, जब त्वचा बार बार के घर्षण या दबाव से अपना बचाव करना चाहती है। कैलस तब पनप सकता है जब आप बगैर कुशन के सैंडल या जूते पहनें, ठीक से फिट न होते जूते पहने या आपके पाँव में कुछ और प्रॉब्लम हो। उ
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म्र के साथ कैलस ज्यादा पनप सकते हैं, क्योंकि वक्त के साथ साथ पाँव के फैट पैड पतले होते चले जाते हैं। कैलस के नीचे अगर फफोला आ जाये या ये बहुत ज्यादा मोटा होकर फैट जाये, तब दर हो सकता है। जिन कैलस का बीचवाला हिस्सा मोटा हो जाता है, उन्हें कॉर्न (गोखरू) कहते हैं।
अगर आपके पाँव पर कड़क कैलस पनप आएं, तो-
- उन्हें स्क्रब के जरिये मिटायें – नियमित तौर पर, नहाने के दौरान या गरम पानी में पाँव डुबोकर रखने के बाद , कैलस पर प्यूमिस स्टोन का इस्तेमाल करें। फिर उन पर गाढ़ा मॉइस्चराइजर लगाएं।
- सही फिटिंग वाले जूते पहने – हो सकता है आप को शू इन्सर्ट इस्तेमाल करने की सलाह दी जाए, खासकर अगर आपके पैर में कोई प्रॉब्लम, हो तो।
- क्रीम का इस्तेमाल करें – प्रिस्क्रिप्शन से मिलने वाले, यूरिया का लैक्टिक एसिड युक्त क्रीम या ऑइन्मेंट, जिनका स्ट्रेंथ ४० से ५० फीसदी हो, सबसे असरदार रहते हैं। इन्हें केराटोलाइटिक एजेंट्स कहते हैं, और ये कैलस की मोटी चमड़ी को केमिकली तोड़ कर उसे नरम बना देते हैं।
- कॉर्न कटर से सावधान – अगर आप प्यूमिस स्टोन या किसी और चीज से कैलस को बहुत जोर से घिस दें, या गीली त्वचा पर फाइल का इस्तेमाल करें तो हो सकता है आप स्वस्थ त्वचा को भी रगड़ दें, जिससे इन्फेक्शन का खतरा हो जाये।