कैल्शियम को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति अभी भी बनी हुई है। एक तरफ जहाँ ये कहा जाता रहा है की कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने से हड्डियों को मजबूत बनाये रखने में मदद मिलती है, ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के खोखलेपन की समस्या पर रोक लगती है तथा फ्रैक्चर होने का खतरा कम रहता है, वहीँ दूसरी और इसके इस्तेमाल अब तरह तरह के सवाल उठने लगे हैं। अब तो यहाँ तक भी कहा जाने लगा है की इसके अधिक मात्रा लेने के विपरीत परिणाम हो सकते हैं। इसके जज्ब होने को लेकर तो और ज्यादा सवाल उठाये जा रहे हैं। यहाँ कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब पेश हैं।
मुझे कितना कैल्शियम लेना चाहिए ?
अमेरिका में १९ साल से लेकर ५० साल तक के लोगों के लिए १२०० मिग्रा रोजाना कैल्शियम लेने की सिफारिस की गयी है. यह मात्रा सभी स्रोतों यानी डेयरी प्रोडक्ट्स, दुसरे खाद्य तथा पेय पदार्थों व कैल्शियम सप्लीमेंट्स से मिलकर प्राप्त होनी चाहिए। लेकिन हॉवर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रमुख डॉ. वाल्टर सी विलेट का नजरिया इससे अलग है। उनके अनुसार रोजाना मात्र ६०० मिग्रा से १००० मिग्रा कैल्शियम ही काफी है। बल्कि वो इस मात्रा को अपेक्षाकृत ज्यादा फायदेमंद मानते हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के दिशा निर्देशों के मुताबिक भी वयस्कों के लिए रोजाना ६०० मिग्रा और गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 1000 मिग्रा की मात्रा पर्याप्त है।
यदि मैं कैल्शियम सप्लीमेंट्स नहीं ले रहा हूँ, तो अन्य माध्यमों से मुझे कितना कैल्शियम मिल पा रहा है ?
हालाँकि पत्तीदार सब्जियों, बीजों और सियरियल्स में पाए जाने वाले ऑक्सलेट्स और फाइटेट्स द्वारा इन चीजों में मौजूद कैल्शियम को ब्लॉक करके रखने के कारण शरीर को कैल्सियम नहीं मिल पाता, फिर भी आपके आहार में यदि फलों और सब्जियों की जरूरत भर मात्रा मौजूद है, तो इनसे लगभग 200 से 300 मिग्रा कैल्शियम की आपूर्ति हो जाएगी। दही जैसे दूध के बने अन्य सामान की एक सर्विंग भी अगर आप इस्तेमाल करते हैं, तो १५० मिग्रा. कैल्शियम शरीर को मिल जायेगा। जो लोग चीज खाने के शौक़ीन है, उन्हें हार्ड चीज कहना चाहिए, क्योंकि उसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है।
कहने का तात्पर्य यह है की अगर आप संतुलित आहार के साथ दूध या उससे बनी अन्य चीजों की कुछ सर्विंग रोजाना लेते हैं, तो आपको लगभग ६०० से ८०० मिग्रा कैल्शियम की आपूर्ति हो जाया करेगी।
नोट – चूना युक्त पान खाने से भी थोडा कैल्शियम मिल जाता है। बल्कि गर्भावस्था और स्तनपान कराने की स्थिति में यह आहार के साथ कैल्शियम सप्लीमेंट जैसा काम कर सकता है।
किस तरह के सप्लीमेंट लेने चाहिए ?
हम यह मानकर चलते हैं की आपको कैल्शियम सप्लीमेंट लेना ही चाहिए, हम बताते हैं। ज्यादातर कैल्शियम सप्लीमेंट या तो कैल्शियम कार्बोनेट या फिर कैल्शियम साइट्रेट से बने होते हैं। इनमें से कैल्शियम कार्बोनेट को जज्ब होने के लिए स्टमक एसिड की जरूरत होती है। लिहाज़ा आप जिस सप्लीमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं, अगर वह कैल्शियम कार्बोनेट से बना है, तो बेहतर यही होगा की आप उसे खाना खाने के फ़ौरन बाद लें। हाँ, कैल्शियम साइट्रेट के लिए स्टमक एसिड की आवश्यकता नहीं होती . इसलिए इसे आप कभी भी ले सकते है। इसके अलावा आप प्रोटोन-पम्प इन्हिबिटर्स या H2 ब्लोकर्स जैसी स्टमक एसिड कम करने वाली दवाएं ले रहें हों, तो आपको कैल्शियम साइट्रेट ही इस्तेमाल में लाना चाहिए। क्योंकि अगर आप इसकी जगह कैल्शियम कार्बोनेट लेते हैं, तो जाहिर है की स्टमक एसिड की कमी की वज़ह से वह सही तरह से जज्ब नहीं हो पायेगा।
क्या कैल्शियम का भरपूर सेवन करने वाले को हड्डी टूटने का डर नहीं रहता ?
सही सवाल किया आपने, क्योंकि फ्रैक्चर रोकना ही वह मुख्य कारण है, जिसकी वजह से हम कैल्सियम सप्लीमेंट्स लेते हैं। इसका जवाब इतना आसान नहीं है। दरअसल कैल्शियम अधिक मात्रा में लेने का मतलब है रक्त में कैल्शियम का लेवल बढ़ाना। कैल्शियम का हाई लेवल बोन टिश्यू को तोड़कर रक्त में कैल्शियम को रिलीज़ करने की क्रिया को बढ़ावा देने वाले पैराथाप्रयद हर्मोन के रिसाव को रोक देता है।