जागरूकता की कमी व लापरवाही के कारण हेपटाइटिस बी व सी के मरीज तेजी से बढ़ रहे है। सामान्य तौर पर अगर मरीज पीलिया की पुष्टि होने पर हेपेटाइटिस की भी जांच करा ले आैर बेहतर रहता है। क्योंकि देखा गया कि पीलिया होने पर हेपेटाइटिस होने की आशंका ज्यादा होती है।
ब्लड बैंक में हेपेटाइटिस बी व सी के संक्रमित ब्लड यूनिटों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसमें थोड़ी सी सावधानी बरतनी होगी। इसके लिए लोगों को जागरूक भी करना होगा। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड ट्रासफ्यूजन विभाग की प्रमुख व ब्लड बैंक प्रभारी डा. तूलिका चंद्रा ने दी। उन्होंने बताया कि पीलिया के लक्षण होने पर जांच तो कराते है आैर इलाज भी कराना शुरू कर देते है। ऐसे में अगर पीलिया की जांच के साथ में हेपेटाइटिस की जांच कराते है तो बेहतर रहता है। क्योंकि हेपेटाइटिस बी व सी शरीर में दबा रहता है। ऐसे में उन्होंने बताया कि अगर जांच में हेपेटाइटिस ए , बी या सी की पुष्टि होती है तो समय पर इलाज कराया जा सकता है।
जांच में ज्यादातर हेपेटाइटिस बी व सी की पुष्टि हुई है –
उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस ए का तो इलाज कराया जा सकता है, लेकिन हेपेटाइटिस बी या सी का इलाज लम्बा चलता है आैर चलता रहता है। डा. तूलिका ने बताया कि उनके यहां आने वाले प्रत्येक ब्लड यूनिट में संक्रमणों की जांच की जाती है, जांच में ज्यादातर हेपेटाइटिस बी व सी की पुष्टि हुई है। अगर आंकड़ों को देखा जाए तो हेपेटाइटिस बी व सी के मरीज लगातार बढ़े है। हेपेटाइटिस बी के मरीज वर्ष 2012 में सौ थे। वर्ष 2013 में 175,2014 में 200 , 2015 250 तथा 2015 में 110 मरीज तथा 2016 में अब तक 110 की बढ़ोत्तरी हुई।
इसके अलावा हेपेटाइटिस सी के 2012 में 36,2013 में 25, 2014 में 70, 2015 में100 तथा 2016 में अब तक60 मरीज आ चुके है। उन्होंने बताया कि एचआईवी के प्रति लोग जागरूक हुए है पर हेपेटाइटिस बी व सी को लोग अभी भी नजर अंदाज कर देते है। उन्होंने बताया कि लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के वक्त व खान-पान से होने वाले संक्रमण से बचना चाहिए।