लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय सदस्यों ने रिसर्च प्रोजेक्ट के नाम पर लाखों रुपये की गड़बड़ी करने आरोप लगा है। आरोपों में कहा गया है कि किसी ने गलत रसीद के जरिए भुगतान लिया है तो किसी ने खुद के मकान की किरायेदारी दिखाकर रुपये उड़ाए हैं। लाखों रुपये के खेल की सीबीआई और कैग से शिकायत करके जांच कराने के लिए कहा गया है।
कानपुर निवासी अजय सिंह ने भेजी शिकायत में आरोप लगाया है कि केजीएमयू के संकाय सदस्य रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए मिलने वाली ग्रांट का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसलिए सभी संकाय में रिसर्च करने वालों के करीब 10 साल के बैंक खाते के विवरण की जांच करायी जाए। शिकायतकर्ता ने केजीएमयू के कुछ प्रोफेसरों से जुड़े प्रोजेक्ट, बैंक खाते की डिटेल भी भेजी है। केजीएमयू प्रशासन पर आरोप लगाया है कि चहेते लोगोंको फायदा पहुंचानेके लिए सब जानते हुए भी वरिष्ठ अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। शिकायती पत्र में बताया गया है कि रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग के एक डाक्टर ने इंटरनेशनल कांग्रेस आन कंप्लीमेट्री मेडिसिन रिसर्च (आईसीसीएमआर) द्वारा वित्त पोषित परियोजना में लाखों रुपये की फर्जी रसीदें लगा दी है। इस प्रकरण में जांच होने रसीदें गलत भी मिली है। इसके बाद भी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने बचा जा रहा है। इसी प्रकार पैडियाट्रिक विभाग की एक डाक्टर ने अपने निजी मकान के पते पर किराये पर आवास लेना बताया है। किरायेदारी के नाम पर हजारों रुपये की फर्जी रसीदें लग गयी। इसके अलावा रिमेटोलॉजी रिसर्च फाउंडेशन में भी बजट में गड़बड़ी हुई है।
केजीएमयू में रिसर्च के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 84 करोड़ की ग्रांट मिलती है। यह ग्रांट सस्ती एवं उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा विकसित करने, मरीजों को सटीक इलाज के लिए विभिन्न संस्थानों से संकाय सदस्यों को दी जाती है। इसमें प्रमुख रूप से भारतीय चिकित्सा परिषद, भारतीय चिकित्सा शोध संस्थान, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, इसरो आदि शामिल हैं। इस बारे में केजीएमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर सिंह ने बताया कि अभी तक इस तरह का कोई शिकायती पत्र नहीं मिला है। यदि कोई जांच एजेंसी केजीएमयू से किसी संकाय सदस्य के बारे में जानकारी मांगेगी तो नियमानुसार उसे उपलब्ध कराया जाएगा।
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