लकवे के मरीज के लिए पहले साढ़े चार घण्टे गोल्ड आवर

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लखनऊ। लकवा मस्तिष्क से सम्बन्धित बीमारी अब लाइलाज नहीं है। जरूरत है कि इसके प्रारिम्भक लक्षणों को भांप कर साढ़े चार घण्टे के भीतर मरीज को सटीक उपचार मिले। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने मंगलवार को लकवे के मरीजों के हित के लिए स्ट्रोक हेल्पलाइन नम्बर 8887147300 का अनावरण करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हेल्पलाइन में सूचना मिलते ही ट्रामा सेन्टर में स्ट्रोक के मरीजों के त्वरित उपचार के लिए स्ट्रोक कोरिडोर का गठन किया गया है जिससे मरीजों को जल्द से जल्द से उपचार मिल सके।

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न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डा. आरके गर्ग ने बताया कि उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, ह्मदय से सम्बन्धित बीमारियां, धूम्रपान, मदिरापान, धमनियों में अत्यधिक वसा का होना, अनियमित दिनचर्या, व्यायाम की कमी, फल व हरी सब्जियों का सेवन न करने से लकवा होने की सम्भावना बढ़ जाती है। देश में लकवा तेजी से बढ़ रहा है आैर इससे काफी लोग ग्रसित होते जा रहे हैं। सबसे बड़ा कारण ब्लड़ शुगर व अनियन्त्रित रक्तचाप है। वर्ष 2025 तक आंकड़ों के अनुसार डायबिटीज से ग्रसित लोग सबसे ज्यादा भारत में होंगे। उन्होंने बताया कि ट्रामा सेन्टर में लकवे (थ्रॉम्बोलिसिस) के मरीजों के इलाज के लिए 24 घंटे न्यूरोलॉजिस्ट उपलब्ध है।

केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के अन्र्तगत स्ट्रोक को भी प्राथमिकता दी गयी है। प्रोफेसर राजेश वर्मा ने बताया कि विश्व पक्षाघात विश्व पक्षाघात संगठन के अनुसार जागरूकता और समय पर इलाज से लकवे से होने वाली विकलांगता व मृत्यु को कम किया जा सकता है। लकवे की जांच के लिए केवल मस्तिष्क के सीटी स्कैन की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क और नाड़ियों को जीवित और सक्रिय रहने के लिए ऑक्सीजन एवं पोषक तत्वों की निरन्तर आवश्यकता रहती है जो रक्त द्वारा प्राप्त होती है।

यदि मस्तिष्क के किसी हिस्से को तीन चार मिनट ने ज्यादा रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाये तो मस्तिष्क का वह भाग ऑक्सीजन व पोषक तत्वों के अभाव में मृत होने लगता है। इसे ही स्ट्रोक या दौरा कहते हैं। पक्षाघात को नियंत्रित करने के लिए यदि डायबिटीज है आैर चिकित्सक को लगता है कि आपको एथरोस्क्लेरोसिस भी है तो आहार एवं जीवन शैली में सुधार करने के लिए कह सकते हैं। धूम्रपान बन्द करें, रक्तचाप पर नियंत्रण रखें, कोलेस्ट्राल की नियमित जाँच कराते रहें।

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