- लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जनरल सर्जरी विभाग के 110वें स्थापना दिवस के अवसर पर वरिष्ठ सर्जन डा अवनीश ने लेप्रोस्कोपिक तकनीक से हर्निया सर्जरी के बारे में व्याख्यान दिया।
डा अवनीश ने कहा कि वर्तमान में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मरीज के लिए बेहद कारगर साबित हो रही है। उन्होंने बताया इस लेप्रोस्कोपिक हर्निया सर्जरी में लगभग 5 से 10 मिमी के 3 छोटे पोर्ट बनाए जाते हैं। हर्निया सर्जरी में पेट की दीवार को मजबूत करने के लिए एक जाली लगाई जाती है। इस तकनीक में ओपन तकनीक की तुलना में मरीज को ऑपरेशन के बाद कम दर्द होता है, सर्जिकल साइट पर संक्रमण कम होता है और काम पर जल्दी लौट आता है।
डा. अवनीश ने बताया कि ओपन हर्निया सर्जरी की तुलना में बिना किसी अतिरिक्त लागत के रोगी की उच्च स्तर तकनीक से सर्जरी विभाग में लैप्रोस्कोपिक हर्निया की सर्जरी नियमित रूप से की जा रही है।
लैप्रोस्कोपिक हर्निया की सर्जरी मूल रूप से तीन तरीकों टीएपीपी, टीईपी और विस्तारित टीईपी तकनीक द्वारा की जाती है।आजकल बड़ी और जटिल हर्निया को भी तकनीक TEP . द्वारा सर्जरी किया जा सकता है। (ई टीईपी) तकनीक जो कभी खुली विधियों से ही संभव हो सकती थी।
डा अवनीश ने कहा कि आंतों का हर्निया ज्यादा मरीज को दिक्कत करती है। यदि आंत बाहर आ गई है , तो यह फंस सकती है। इसके फंसने या उलझने से तेज दर्द होता है। मरीज को उल्टी होने लगती है व खाना ठीक से पचता नहीं है। इसे ऑब्सट्रक्टेड हर्निया कहा हैं। समय रहते इलाज नहीं कराने पर आंतों में रक्तसंचार बाधित हो जाता है। इससे आंतों में गैंगरीन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है। समय रहते इसका ऑपरेशन करवाने से बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है।
लक्षण पहचानें
खांसने, छींकने या भारी वजन उठाने, लंबे समय तक दौड़ने से गोलनुमा आकृति शरीर में उभरकर सामने आती है। इसमें हल्का दर्द भी हो सकता है। आराम करने पर दर्द गायब कम हो जाता है। इससे रोगी को महसूस होता है कि शरीर के उस हिस्से में हवा भर गयी है। यह हर्निया का शुरुआती लक्षण है। एडवांस स्टेज में इसका आकार बड़ा हो जाता है और लेटने या दबाने से भी दर्द कम नहीं होता है।