लखनऊ – किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट की लापरवाही से स्वास्थ्य मंत्रालय का बुजुर्गो के इलाज के लिए जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग शुरु करने का मामला लटक गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने लगभग तीन करोड़ रुपया के बजट की दो वर्ष पहले जारी किया, लेकिन विभाग के लिए बजट का उपयोग न होने पर यह प्रोजेक्ट वापस चला गया है।
बताते चले कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रदेश में एक मात्र केजीएमयू को बुजुर्गो के बेहतर इलाज के लिए जिरियाट्रिक मेडिसिन विभाग शुरू करने का अनुमति दी थी। इसके तहत बुजुर्गो की बीमारियों का इलाज कि या जाना था। विभाग शुरू करने के लिए दो वर्ष पहले लगभग तीन करोड़ रुपये का बजट राज्य सरकार के माध्यम से दिया गया था।जिसको केजीएमयू को लेकर विभाग को शुरू कराना था। केजीएमयू ने जिरियाट्रिक मेडिसिन विभाग की संस्तुति होने के बाद इसका प्रमुख मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डा. कौसर उस्मान को बना दिया गया। डा. कौसर ने ओपीडी भी शुरू कर दी, परन्तु विभाग के लिए स्थान व बजट नहीं होने से आगे का कार्य नहीं हो पाया।
उधर केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही से बजट का रूपया नहीं आ पा रहा था। इसके अलावा विभाग के लिए स्थान भी केजीएमयू मुहैंया करा पा रहा था। केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट की उदासीनता से लगभग दो वर्ष बीत गये, लेकिन विभाग शुरु नही हो पाया। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेताया कि अगर जल्द ही बजट का उपयोग न करते हुए विभाग शुरू किया गया, तो प्रोजेक्ट वापस लिया जा सकता है। इसके बाद भी केजीएमयू प्रशासन की नींद नहीं टूटी। आखिर का जिरियाट्रिक मेडिसिन विभाग शुरू करने का प्रोजेक्ट वापस हो गया। अब यह प्रोजेक्ट मंत्रालय के बैठक के बाद वापस होने की उम्मीद है। जरूरी नहीं कि यह प्रोजेक्ट केजीएमयू को ही दिया जाए। किसी अन्य मेडिकल कालेज को भी दिया जा सकता है।
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