लखनऊ। अब लीडलेस पेस मेकर आपके दिल में कैप्सूल के आकार में छुपा रहेगा आैर आपकी दिल की धड़कनों को नियंत्रण में रखेगा। अभी तक पुराने पेसमेकर से मरीज को समस्याओं से गुजरना पड़ता था। यह लीडलेस पेसमेकर लगाने की तैयारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लॉरी कार्डियोलॉजी में जल्द ही लगना शुरू हो जाएगा। इसको पैर की नर्व से ले जाकर दिल में छोड़ दिया जाता है आैर यह हार्ट के अंदर ही बिना किसी कनेक्शन के चुम्बकीय तंरगों से चलता रहता है। यह जानकारी केजीएमयू के डा. गौरव चौधरी ने कार्डियोकॉन 2017 के दौरान बातचीत में दी। कार्यशाला का उद्घाटन केजीएमयू के कुलपति प्रो. रविकांत ने किया।
लॉरी में पेसमेकर सबसे ज्यादा लगाये जाते है –
अगर आंकड़ों को देखा जाए तो लॉरीकार्डियोलॉजी में एक लाख दस हजार मरीजों को देखने के साथ ही प्रत्येक वर्ष 8500 रोगियों को एंजियोग्राफी की जाती है तो इनमें 3500 मरीजों की एंजियोप्लास्टी होती है तथा इसके अलावा लगभग 700 मरीजों को पेसमेकर लगा दिया जाता है। यही नहीं 150 की वाल्वुओ प्लास्टी की गयी तो 50 बच्चों चिकित्सा आैर लगभग 80 को रेडियोफ्रिक्वेंसी एबलेशन तकनीक से इलाज किया जाता है। इस बारे में डा. गौरव चौधरी बताते है कि लॉरी में पेसमेकर सबसे ज्यादा लगाये जाते है। अब नये तकनीक के लीड लेसपेसमेकर को लगाने की तैयारी चल रही है। जल्द ही इसको लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी।
इस लीडलेस पेसमेकर के बारे में जानकारी देते हुए मिहिर रावत बताते है कि इस लीडलेसपेसमेकर को वर्ष 2016 में वल्र्ड इनोवेशन इन मेडिसिन का खिताब भी मिल चुका है। उन्होंने बताया कि अब तक लगाये जा रहे पेसमेकर का साइज बड़ा होता है आैर कई वायर जुड़े होते है। अब नयी तकनीक के पेसमेकर को पैर की फिमोटेलवेन से एक विशेष प्रकार की लीड से हार्ट तक पहुंचा दिया जाएगा। इसके बाद इसमें निकली चार टाइंस हार्ट की आंतरिक क्षेत्र में फं स जाएगी आैर वहां पर यहां चुम्बकीय क्षेत्र बनाकर धकड़नों पर नियंत्रण पा सकेगा।
उधर कार्यशाला में दिल्ली के अमन पुरी ने बताया कि कोलेस्ट्राल की समस्या आम तौर को सभी को रहती है। कोलेस्ट्राल की समस्या एक दिन में नहीं होती है। जंकफूड व मसालेदार भोजन से धमनियों में जमने लगता है। ब्लड की सामान्य जांच से कोलेस्ट्राल बढ़ने की जानकारी मिल जाती है। लगातार इन दवाओं के सेवन से लिवर पर भी साइड इफेक्ट हो सकता है, पर अब विदेशों में इजेक्शन प्रयोग हो रहा है, इनको लगाने के बाद हफ्ते, 15 दिन तक कोई दवा नहीं खाना पड़ता है। इस इंजेक्शन के साइड इफेक्ट भी कम रहता है।
दिल्ली के विशेषज्ञ डा. आलोक ने बताया कि अक्सर मरीजों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है, ऐसे में एबीपीए ( एम्बुलेटरी ब्लडप्रेशर मानीटिर) से सही नाप ले ली जाती है। अगर मरीज का ब्लड प्रेशर नियंत्रण न रहे तो उसके हार्ट, किडनी, आंखों पर भी प्रभाव पड़ता है। अक्सर लोग डाक्टर के पास जाने पर भी ब्लड प्रेशर लेते वक्त घबरा जाते है। इसलिए ज्यादा ब्लड प्रेशरवाले मरीज को घर में भी ब्लड प्रेशर चार्ट बनाने के लिए कहा जाता है।
केजीएमयू का डा. अक्षय ने बताया कि अगर ब्लड प्रेशर की तीन अलग- अलग गोलियां का सेवन करता है तो उसके दवा के सेवन में कहीं गड़बड़ी हो सकती है। इसके लिए मेडिसिन डोज सेट करना पड़ता है। लॉरी कार्डियोलॉजी के प्रमुख डा. वीएस नारायण ने बताया कि लगातार बहुत से लोगों में रोमेटिक हार्ट डिजीज में अक्सर वाल्व सिकुड़ जाता है। अगर गर्भवती होने के बाद उनकी सांस फूलना व हार्ट बीट तेज होने की समस्या पर जांच में वाल्व सिकुड़ने की जानकारी मिलती है। ऐसे में वाल्व को बैलूनिंग करके ठीक कर दिया जाता है। इसके बाद गर्भधारण का परामर्श दिया जाता है। होता यह कि महिला को खून पतला करने की भी दवा दी जाती है, इसके कारण गर्भस्थ शिशु को दिक्कत हो सकती है। कार्यशाला में मेदांता के डा. नरेश त्रेहन सहित अन्य कार्डियोलॉजिस्ट मौजूद थे।