लखनऊ । नवीनतम तकनीक पर आधारिक कृत्रिम अंग एवं उपकरणों की आम जनता तक पहुंच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंगु लंघ्यते गिरि की संकल्पना को विशेषज्ञ ही साकार कर सकते है। यह उद्गार प्रदेश के विधि एवं न्याय कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने सोमवार को आर्थोटिक्स एवं प्रास्थेटिक्स एसोशिएशन आफ इंडिया के तीसरे दिन 62 वे राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर कही। कन्वेंशन सेण्टर में आयोजन किया गया था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के लिम्ब सेंटर में कृत्रिम अंग कार्यशाला प्रभारी अरविंद कुमार निगम को लाइफ टाइम प्रोफेशनल अवार्ड से सम्मानित किया। श्री निगम लम्बे समय से केजीएमयू की कृत्रिम अंग की कार्यशाला में कृत्रिम अंगों में नवीन शोध कार्य करने के लिए जाने जाते है। उन्होंने कृत्रिम अंगों में शोध के साथ ही मामूली सी बदलाव करके विकलांगों को क्वालिटी लाइफ देने की कोशिश की है। यहां पर अरविंद निगम ने बताया कि उनकी कोशिश है कि विकलांगों को समाज में पुर्नवास करके खुद की रोजी रोटी कमाने के लिए खड़ा किया जाए। इसके लिए गरीब मरीजों के लिए हमेशा सेवारत रहते है। इसके अलावा अजीत प्रताप सिंह, हिमांशु सिंह, आशीष सिंह एवं सत्यवान मिश्रा को भी लाइफ टाइम प्रोफेशनल आवार्ड से सम्मानित किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय संस्थानों के छात्रों को भी पुरस्कृत किया गया।
राष्ट्रीय सम्मेलन में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एमएलबी भट्ट ने निशक्तजन अधिकार कानून 2016 के लागू हो जाने के बाद आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि अब इस कानून के पारित हो जाने के बाद विकलांगता की श्रेणियां सात से बढ़कर 21 हो गयी है। तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन सचिव गिरीश गुप्ता ने बताया कि 90 शोध पत्र आैर69 पोस्टर्स प्रस्तुत किये गये। सम्मेलन के माध्यम से उच्च तकनीक स्तर पर आधारित कृत्रिम अंग एवं उपकरणों को दिव्यांगजनों तक उपलब्ध कराने के लिए जिला स्तर पर कृत्रिम अंग केन्द्रों की स्थापना पर जोर दिया। इस अवसर पर आर्थोटिक्स एवं प्रास्थेटिक्स एसोशिएसन आफ इण्डिया के अध्यक्ष नीरज सक्सेना सचिव ए पात्रा एवं अन्य अधिकारी व पदाधिकारी समेत विशेषज्ञ मौजूद थे।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.