लखनऊ। स्पाइन सर्जरी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक कारगर हो रही है। इस तकनीक के प्रयोग स्पाइन सर्जरी करने से पहले लाइन आफ ट्रीटमेंट का परामर्श मिल जा रहा है, जो कि सटीक सर्जरी करने में कारगर है। यह बात कोच्चि से आये डा. के वी मेनन ने शनिवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के आर्थोपैडिक विभाग द्वारा आयोजित स्पाइन कॉक्लेव में कही। होटल क्लार्क में आयोजित कॉक्लेव में वरिष्ठ आर्थोपैडिक सर्जन्स ने कैडवरिक पर स्पाइन सर्जरी की नयी तकनीक के बारे में जानकारी दी।
डा. मेनन ने कहा कि स्पाइन सर्जरी बेहद जटिल होती है। सर्जरी से पहले विभिन्न जांच व अन्य पहलुओं पर विचार विमर्श करना पड़ता है, लेकिन वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक ने मरीजों के स्पाइन सम्बधी बीमारियां व सर्जरी में सटीक परामर्श देना शुरू कर दिया है। डाक्टर सर्जरी से पहले विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दे देता है, जिससे सर्जरी करने व उसके बाद स्थितियों पर परामर्श दे देता है।
डाक्टर इसके आधार पर सटीक निर्णय ले सकता है। डा. के डी त्रिपाठी ने कहा कि रोबोटिक सर्जरी वर्तमान में काफी चलने में है। स्पाइन सर्जरी में भी इससे मदद ली जा सकती है, लेकिन स्पाइन सर्जरी में बेहद सावधनी बरतनी पड़ती है। आर्थोपैडिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. आशीष ने बताया कि स्पाइन टीबी का इलाज विशेषज्ञ डाक्टर से कराना चाहिए।
इलाज का बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ डाक्टर की देख रेख में लगभग नौ महीने लगातार दवा का सेवन करना चाहिए। आयोजक सचिव डा. शाह वशीउल्लाह ने बताया कि कार्यशाला के बाद केजीएमयू के एनाटॉमी विभाग में कैडवरिक कार्यशाला में स्पाइन सर्जन्स नयी तकनीक की जानकारी दी।